बैज ने कहा कि वन मंत्री वहां जाएंगे और सच सुनेंगे, तो उनकी पैंट गीली हो जाएगी। आपको आदिवासियों के विकास का इतना भरोसा है तो चलिए हसदेव, तमनार, बैलाडीला। आपको पता चल जाएगा की आदिवासियों का विकास हुआ है या विनाश हुआ है।
इस पर छत्तीसगढ़ बीजेपी ने कहा कि बात आदिवासी सम्मान की करते हैं, लेकिन टिकट देते समय आदिवासी नेताओं को दरकिनार कर दिया जाता है। कांग्रेस को बताना चाहिए कि आदिवासी सिर्फ चुनाव के समय ही इन्हें याद क्यों आते हैं?
अब जानिए क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, सोमवार को राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के आदिवासी नेताओं के साथ बैठक की थी। इस पर छत्तीसगढ़ के वन मंत्री केदार कश्यप ने दीपक बैज से सवाल पूछा था। उन्होंने कहा था कि भूपेश सरकार के शासनकाल में प्रदेश के आदिवासियों के साथ तो छलावा और धोखाधड़ी का एक पूरा सिलसिला चला।
उन्होंने कहा था कि उस वक्त बैज और मरकाम मुंह में दही जमाए बैठे रहे। मरकाम को तो फिर भी विधानसभा में कोंडागांव जिले के डीएमएफ फंड पर सवाल उठाने की कीमत अध्यक्ष पद खोकर चुकानी पड़ी, लेकिन अभी हाल ही कांग्रेस की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी की बैठक में सबके सामने अपने नेतृत्व पर किए गए हमले के बाद भी बैज मौनी बाबा बने रहे।
केदार ने कहा था कि आदिवासियों के हक और कल्याण की सोच और दृष्टि से जिस कांग्रेस का दूर-दूर तक कोई रिश्ता ही नहीं है। राहुल गांधी आदिवासी नेताओं से मिलने का सिर्फ पाखंड ही कर रहे हैं।