
हालांकि, इससे पहले ही रेलवे के पांच विभागों की टीम ने अपनी शुरुआती जांच रिपोर्ट सौंप दी थी। इस रिपोर्ट में हादसे की जिम्मेदारी केवल लोको पायलट पर डालने की बात कही जा रही है।
जांच में यह बात सामने आई है कि हादसे में शामिल लोको पायलट एक माह पहले तक मालगाड़ी चला रहे थे। करीब एक माह पहले ही उन्हें पैसेंजर ट्रेन की कमान सौंपी गई थी। ऐसे में रेलवे के परिचालन विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, अब CRS की टीम इस पूरे मामले की विस्तृत जांच करेगी और अंतिम रिपोर्ट पेश करेगी।
रेलवे की ओर से गठित पांच सदस्यीय समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट के अनुसार, जिस स्थान पर हादसा हुआ, वहां ट्रैक में घुमाव (कर्व) है। आशंका जताई गई है कि लोको पायलट विद्या सागर ने दूसरी लाइन का सिग्नल देखकर ट्रेन की स्पीड बढ़ा दी, और सामने मालगाड़ी दिखाई देने पर स्पीड कंट्रोल करने की कोशिश की, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि लोको पायलट विद्या सागर को महीने भर पहले ही प्रमोशन मिला था। इससे पहले वे मालगाड़ी चलाते थे, और प्रमोशन के बाद उन्हें मेमू पैसेंजर ट्रेन की जिम्मेदारी दी गई थी।
हादसे में 11 की मौत, 20 घायल बिलासपुर रेलवे स्टेशन के समीप लालखदान-गतौरा के बीच हुए हादसे में गेवरा रोड मेमू लोकल ट्रेन (68733) ने सामने खड़ी मालगाड़ी को टक्कर मार दी, जिसके चलते मेमू ट्रेन का मोटर कोच मालगाड़ी के एक वैगन के ऊपर चढ़ गया। इस भीषण दुर्घटना में 11 यात्रियों की मौत हो चुकी है, जबकि 20 लोग घायल हैं।
50 KM प्रति घंटे की स्पीड में थी ट्रेन SECR के पांच विभागों के अधिकारियों की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रेन गतौरा स्टेशन से रवाना होने के बाद 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी। इससे पहले के स्टेशनों में यह ट्रेन 76 किलोमीटर प्रति घंटे के स्पीड पर थी। आशंका जताई जा रही है कि सामने मालगाड़ी देखकर लोको पायलट ने एमरजेंसी ब्रेक भी लगाई। लेकिन, तब तक सामने मालगाड़ी आ चुकी थी।