छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में श्रीराम फाइनेंस कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में 1 करोड़ 30 लाख 50 हजार रुपए की धोखाधड़ी की गई

Chhattisgarh Crimesछत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में श्रीराम फाइनेंस कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में 1 करोड़ 30 लाख 50 हजार रुपए की धोखाधड़ी की गई है। कंपनी के 3 कर्मचारियों ने अपने एजेंटों के साथ मिलकर घरघोड़ा शाखा से 26 फर्जी ग्राहकों को बिजनेस लोन दिलाया, फिर पैसे हड़प लिए।

वारदात सामने आने पर कंपनी के लीगल मैनेजर ने घरघोड़ा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। घरघोड़ा शाखा के कर्मचारियों वीरेंद्र प्रताप पुरसेठ (30), खेमराज गुप्ता (37) और सुधीर निषाद (31) ने साल 2017 से 2019 के बीच फर्जीवाड़ा किया।

श्रीराम फाइनेंस कंपनी के लीगल डिपार्टमेंट मैनेजर राकेश तिवारी ने बताया कि इन तीनों ने कंपनी के 26 ग्राहकों को व्यापार लोन दिलाने के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार किए। इसके बाद 1.30 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का गबन किया।

अब जानिए कैसे हुआ लोन फ्रॉड ?

दरअसल, वीरेंद्र प्रताप पुरसेठ, खेमराज गुप्ता और सुधीर निषाद ने कंपनी से करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी की साजिश रची। तीनों ने खुद को “व्यवसायी” बताया, जिनका कोई व्यवसाय नहीं था। उन्होंने दूसरों की दुकानों की तस्वीरों का इस्तेमाल किया। तस्वीरों को लोन फाइल में शामिल किया।

एजेंटों की मिलीभगत से फर्जी सत्यापन किए गए। बदले में एजेंटों को कमीशन दिया गया, जबकि कई वास्तविक ग्राहकों को पूरी रकम कभी नहीं मिली। जब कंपनी को 2019 में गड़बड़ी के बारे में पता चला, तो संबंधित कर्मचारियों को समझाइश दी गई। पैसे वापस करने को कहा गया। हालांकि, उनमें से किसी ने भी लोन नहीं चुकाया।

इसके बाद 15 जनवरी, 2025 को, कानूनी प्रबंधक राकेश तिवारी को औपचारिक जांच करने का काम सौंपा गया। जांच दल (जिसमें विकास वर्मा, प्रवीण सोनी और सौरभ कलार शामिल थे) ने सभी “ग्राहकों” से पूछताछ की। पाया कि पूरा मामला धोखाधड़ी का था। ग्राहकों ने कभी लोन नहीं लिया।

एजेंटों की मिलीभगत से हुआ गबन

जांच में जिन एजेंटों की संलिप्तता पाई गई, उनमें राजकुमार साहू, मदनसुंदर साहू, खेमराज पटेल, नीलाम्बर यादव, नीलांचल गुप्ता, संजय गुप्ता और रामकुमार पोर्ते शामिल हैं। सभी पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी दस्तावेजों की व्यवस्था और राशि के बंटवारे में सहयोग किया।

कंपनी की रिपोर्ट पर घरघोड़ा पुलिस ने वीरेंद्र प्रताप पुरसेठ, खेमराज गुप्ता, सुधीर निषाद और सातों एजेंटों के खिलाफ BNS की धारा 120-बी (षड्यंत्र), 419 (छल), 420 (धोखाधड़ी), 467, 468, 470, और 471 (जालसाजी से संबंधित धाराएं) के तहत अपराध दर्ज किया है। पुलिस मामले में आगे की जांच कर रही है।

अब जानिए कौन बने फर्जी ग्राहक ?

फर्जी लोन जिन लोगों के नाम से स्वीकृत किए गए, उनमें खरसिया के जैमुरा निवासी हेमंत कुमार पटेल, धौराभांठा के छबिशंकर गुप्ता, बहिरकेला के सुलित राठिया, भालूमुड़ा के पितांबर राठिया, हिंझर के शंकर लाल यादव, नवागढ़ के धनसाय गोड़, कसडोल के मनोज गुप्ता, पाली के भगतराम खंडित, महलोई के गंगाराम मिर्धा और बड़े गुमड़ा के धनुराज गुप्ता शामिल हैं।

इसके अलावा कया, एडुकला छाल, नवापारा, भालूमार, बांधापाली, चिर्रामुड़ा, तिलाईपाली, गोढ़ी, खुरूसलेंगा और मिलुपारा के कई अन्य लोगों के नाम पर भी फर्जी लोन स्वीकृत किए गए। बताया जा रहा है कि कुछ को मामूली हिस्सेदारी दी गई, जबकि कई “ग्राहकों” को रकम कभी दी ही नहीं गई।

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