
इसी आधार पर यह कार्रवाई की गई है। टीम ने नवकार मेडिकल से डिजिटल और अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य जब्त किए हैं। अधिकारी ने बताया कि आगे की पूछताछ के बाद आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में व्यापारिक प्रतिस्पर्धा को भी देरी की एक वजह बताया जा रहा है। जुलाई में भी की गई थी छापेमारी कार्रवाई
विभाग ने कुलेश्वर मेडिकल संचालक सीताराम साहू के खिलाफ “जानलेवा” और “जोखिम भरा कारोबार” बताते हुए अलग-अलग धाराओं के तहत कार्रवाई की थी। जुलाई में हुई छापेमारी में नकली कफ सिरप जब्त किया गया था, और कुलेश्वर मेडिकल संचालक ने नवकार मेडिकल से खरीदी के पुख्ता प्रमाण दिए थे।
बताया जाता है कि कई दौर की उच्चस्तरीय बातचीत के बाद भी जब कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला, तब नवंबर में कुलेश्वर मेडिकल को सील कर संचालक को गिरफ्तार किया गया। तब देरी की वजह ‘विवेचना’ बताई गई थी।
सभी प्रमाण और साक्ष्य मौजूद होने के बावजूद, तीन महीने की देरी से शुरू हुई कार्रवाई में नवकार मेडिकल को छोड़ दिया गया था। कुलेश्वर मेडिकल संचालक की गिरफ्तारी के 30 दिन बाद अब नवकार मेडिकल पर कार्रवाई हुई है।