दरअसल, शराब घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चैतन्य बघेल को भी आरोपी बनाया है। जिसके बाद चैतन्य बघेल को भिलाई से गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि शराब घोटाले की रकम से चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपए मिले हैं।
शराब घोटाले से मिले ब्लैक मनी को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में इन्वेस्ट किया गया। ब्लैक मनी को वाइट करने के लिए फर्जी निवेश दिखाए और सिंडिकेट के साथ मिलकर 1000 करोड़ रुपए की हैंडलिंग (हेराफेरी) की गई।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट जाने की दी थी सलाह
बता दें कि, सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली थी। ED के मामलों को लेकर लगाई अग्रिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाईकोर्ट जाने की सलाह दी है। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका को सुनने से इनकार कर दिया, वहीं दूसरी याचिका पर सुनवाई 6 अगस्त को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि दोनों ने एक ही याचिका में PMLA के कई सेक्शन को चुनौती देने के साथ-साथ जमानत जैसी व्यक्तिगत राहत की मांग भी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘जब किसी मामले में कोई प्रभावशाली व्यक्ति शामिल होता है, तो वो सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख करता है।
यदि हम ही सब केस सुनेंगे तो बाकी अदालतें किस लिए हैं। अगर ऐसा ही होता रहा तो फिर आम आदमी कहां जाएंगे। एक साधारण आदमी और वकील के पास पैरवी के लिए सुप्रीम कोर्ट में कोई स्पेस ही नहीं बचेगा।’