राज्य सेवा के अफसर को DPR बनाए जाने पर भड़के हैं जनसंपर्क अधिकारी, राजभवन और कवर्धा को छोड़कर सभी कार्यालयों में तालाबंदी

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। छत्तीसगढ़ में पहली बार जनसंपर्क विभाग ने सरकार के किसी फैसले के खिलाफ बगावत का झंडा खड़ा कर दिया है। विभाग के अधिकारियों ने मंगलवार को प्रदेश भर के विभागीय कार्यालयों में तालाबंदी कर दी। अधिकारियों ने कोई सरकारी विज्ञप्ति, सूचना अथवा विज्ञापन जारी नहीं किया। इस तालाबंदी से केवल राजभवन के प्रेस प्रकोष्ठ और कवर्धा जिला जनसंपर्क कार्यालय को मुक्त रखा गया था।

दरअसल विवाद पिछले सप्ताह जनसंपर्क विभाग और उसके अनुषांगिक संगठन संवाद में नए अधिकारियों की पदस्थापना से जुड़ा है। राज्य सरकार ने राज्य प्रशासनिक सेवा के एक कनिष्ठ अधिकारी सौमिल रंजन चौबे को जनसंपर्क विभाग का संचालक बना दिया। यह बात जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों को नागवार गुजरी। जनसंपर्क अधिकारी संघ ने इसका विरोध शुरू किया। उनकी मांग है, जनसंपर्क संचालक पद पर अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी की पदस्थापना नहीं होने की दशा में विभाग के ही किसी वरिष्ठ अधिकारी को तैनात किया जाए। संघ का कहना है, किसी भी स्थिति में राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को जनसंपर्क विभाग का संचालक नहीं बनाया जा सकता।

अधिकारी संघ ने कहा, संवाद में भी प्रतिनियुक्ति पर विभागीय अधिकारी ही पदस्थ किए जाते रहे हैं। इन पदों पर वर्तमान में राज्य प्रशासनिक सेवा और अन्य संवर्ग के अधिकारी की पदस्थापना नियम विरूद्ध की गई है। अधिकारियों-कर्मचारियों ने संचालनालय में विरोध प्रदर्शन भी किया। छत्तीसगढ़ जनसंपर्क अधिकारी संघ के अध्यक्ष बालमुंकुद तंबोली, राजपत्रित अधिकारी संघ के महासचिव जितेन्द्र गुप्ता, कोषाध्यक्ष डी.पी.टावरी, उपाध्यक्ष डॉ. बी.पी.सोनी, रोशन धुरंधर, संगठन मंत्री नंदलाल चौधरी, सचिव तिलक शोरी आदि शामिल हुए। इन्द्रावती भवन के सचिवीय संवर्ग, कर्मचारी संघ, प्रदेश वाहन चालक संघ ने भी हड़ताल का समर्थन करते हुए प्रदर्शन किया।

राजपत्रित अधिकारी संघ ने भी किया समर्थन

छत्तीसगढ़ प्रदेश राजपत्रित अधिकारी संघ ने भी जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों के आंदोलन का समर्थन कर दिया है। संघ के अध्यक्ष कमल वर्मा के नेतृत्व में राजपत्रित अधिकारियों ने काली पट्‌टी बांधकर काम किया। राजपत्रित अधिकारी संघ के पदाधिकारियों ने जनसंपर्क संचालक पद से कनिष्ठ अधिकारी को हटाने की मांग की है। कमल वर्मा ने कहा, विभागों में योग्य अधिकारियों की कोई कमी नहीं है। राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को विभागाध्यक्ष बना देना वरिष्ठ अधिकारियों का अपमान है। इसका विरोध नहीं हुआ तो सभी विभागों में राज्य प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति कर दी जाएगी। इससे विभागीय अधिकारियों के कॅरियर को बहुत नुकसान होगा।