
जहां किसानों के लिए धान बेचना नहीं, बल्कि टोकन प्राप्त करना ही सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। दैनिक भास्कर डिजिटल की टीम ने दुर्ग ब्लॉक के अंडा गांव स्थित मिनी स्टेडियम धान खरीदी केंद्र का दौरा किया। यहां सुबह से ही किसान लंबी कतारों में खड़े थे।
इनमें अधिकांश शिकायतें और निराशा थी। कई किसानों ने बताया कि वे हफ्तों से टोकन के लिए चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें न तो ऑनलाइन और न ही ऑफलाइन टोकन मिल पा रहा है। ऑनलाइन टोकन प्रक्रिया तकनीकी रूप से सरल होने के बावजूद, कई किसानों के पास एंड्रॉयड फोन नहीं हैं।
टोकन की संख्या सीमित
ग्रामीण क्षेत्रों के बुजुर्ग और महिला किसानों के लिए यह प्रक्रिया विशेष रूप से कठिन है। इन किसानों के लिए ऑफलाइन टोकन की व्यवस्था की गई थी, लेकिन किसानों का आरोप है कि यह सुविधा भी सीमित लोगों को ही मिल रही है।
किसानों की मुख्य समस्या यह है कि टोकन की संख्या सीमित है। इसकी सीमा बढ़ाने की अनुमति NIC रायपुर के पास है। जिला प्रशासन ने इस संबंध में अनुरोध भेजा है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है, जिससे किसानों की बेचैनी बढ़ रही है।
टोकन लेने पहुंचीं महिला किसान गीता बाई ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा, “मुझे 15 दिन बाद आने को कहा गया है। मैं एक हफ्ते से चक्कर लगा रही हूं। धान बेचने के लिए तैयार रखा है, लेकिन टोकन नहीं मिलने के कारण बाड़े में रखा धान चूहे खा रहे हैं।
दुर्ग जिले की खरीदी स्थिति
- 2 दिसंबर तक :
- 102 उपार्जन केंद्रों में
- 16,380 किसानों से
- 86,190.12 मीट्रिक टन धान खरीदा गया है।
जिले में कुल पंजीकृत किसान 1,13,327 हैं और उनसे 6,16,435 मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य है। अभी तक लक्ष्य का सिर्फ 13.98% ही खरीदी हो पाई है।
यह आंकड़ा किसान की चिंता को बढ़ाता है, क्योंकि धान खरीदी शुरू हुए 17 दिन हो चुके है और सिर्फ लगभग 14% खरीदी हुई है। जबकि 31 जनवरी तक अब लगभग 40 दिन बचे हैं। किसानों का डर है कि जिस गति से खरीदी हो रही है, कहीं ऐसा न हो कि “हमारे धान का नंबर ही न आए… और सीजन निकल जाए।”