
डिवीजन बेंच ने प्री-नर्सरी और नर्सरी स्कूलों को लेकर राज्य सरकार की तैयारियों पर सख्त नाराजगी जताई। हाईकोर्ट ने कहा कि गाइडलाइन से पहले नियम बनाएं, जो संस्थान निशुल्क शिक्षा देने के लिए बाध्य हैं, उनके लिए कठोर और पारदर्शी नियम आवश्यक हैं, ताकि किसी भी तरह की अनियमितता या उल्लंघन पर जवाबदेही तय की जा सके।
दरअसल, भिलाई निवासी सी भगवंत राव ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है, जिसमें आरटीई, नर्सरी स्कूल खोलने के लिए नियम नहीं होने समेत अन्य मुद्दे शामिल हैं। इसके साथ ही इस मुद्दों को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता विकास तिवारी सहित अन्य की याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की जा रही है।
शिक्षा सचिव का जवाब- 976 शिकायतें, सिर्फ 167 का निपटारा
हाईकोर्ट के पिछले आदेश के परिपालन में शिक्षा सचिव ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया। बताया गया कि सत्र 2025–26 के दौरान अभिभावकों से कुल 976 शिकायतें मिली हैं, जिनमें से केवल 167 शिकायतों का निपटारा किया गया है। 809 मामले अब भी लंबित पड़े हैं।
वहीं याचिकाकर्ता की ओर से आंकड़ों के साथ बताया गया कि दुर्ग जिले में 183 शिकायतों में से 1 और बिलासपुर में 99 में से 1 शिकायत का निपटारा हुआ है, जबकि रायपुर में 199 में से 42 शिकायतें ही निपटी हैं।
हाईकोर्ट ने इस धीमी प्रक्रिया पर असंतोष जताते हुए कहा कि शिकायतों के निपटारे की वर्तमान स्थिति चिंताजनक है और इसे तेजी से सुधारने की आवश्यकता है।
अभिभावकों की शिकायतों का तत्काल समाधान हो
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि अभिभावकों की शिकायतों का तत्काल समाधान होना चाहिए, क्योंकि नर्सरी और प्री-नर्सरी स्तर के बच्चों से जुड़ी किसी भी समस्या को लंबे समय तक लंबित रखना उचित नहीं है।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि सभी लंबित शिकायतों पर जल्द कार्रवाई हो। अगली सुनवाई के दिन विस्तृत शपथ पत्र देने के आदेश दिए गए हैं।
महाधिवक्ता ने कहा- गाइडलाइन का पुनरीक्षण करेंगे
महाधिवक्ता विवेक शर्मा ने हाईकोर्ट को भरोसा दिलाया कि शिक्षा विभाग गाइडलाइन का पुनरीक्षण करेगा और उचित संशोधन करते हुए इन्हें कानूनी रूप देने पर विचार करेगा।
हाईकोर्ट ने उम्मीद जताई कि राज्य सरकार इस मामले की गंभीरता को समझते हुए एक ठोस नीति और निगरानी का सिस्टम बनाएगा। जिससे छोटे बच्चों की शिक्षा से जुड़े संस्थानों में पारदर्शिता, सुरक्षा और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।