इस दौरान एजेंसी ने भाटिया की फिर रिमांड मांगी। दोनों पक्षों की बहस होने के बाद कोर्ट ने 12 जून तक विजय भाटिया को EOW की कस्टोडियल रिमांड पर भेज दिया है। जहां अधिकारी 12 जून तक पूछताछ करेंगे।
पूछताछ के बाद नई गिरफ्तारी
विजय भाटिया से पूछताछ में EOW के अधिकारियों को कई अहम जानकारियां हासिल हुई है। जांच के दौरान बैंक ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड सामने रखा गया। भाटिया से पूछा गया है कि उन्होंने क्यों और किस लिए कांग्रेस के बड़े नेताओं और उनके रिश्तेदारों के खातों में पैसे ट्रांसफर किए थे।
जानकारी के मुताबिक पूछताछ के दौरान भाटिया ने एजेंसी के अधिकारियों को सिंडिकेट से जुड़े अन्य कारोबारी और अधिकारियों के नाम भी बताए हैं। ऐसे में EOW की ओर से उन अफसरों और कारोबारियों को पूछताछ के लिए तलब किया जा सकता है। वहीं इस मामले में जल्द नए लोगों को गिरफ्तार किया जा सकता है।
जांच में ये बात आई सामने
EOW ने जांच में पाया है कि भाटिया के खाते से कांग्रेस के सीनियर नेताओं और उनके करीबी रिश्तेदारों के खातों में पैसे ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड मिला है। ACB-EOW इसी एंगल पर जांच कर रही है कि शराब घोटाले का पैसा किन-किन लोगों और राजनेताओं तक पहुंचा है।
विजय अपने परिवार के साथ दिल्ली में था। वह दिल्ली से कहीं विदेश भागने की तैयारी में था। उसके पहले ही EOW ने उसे दिल्ली से पकड़ लिया था।
परिचित के नाम से बनाई ओम कंपनी
जानकारी के मुताबिक, EOW की जांच में पता चला है कि विजय ने विदेशी कंपनी की शराब सप्लाई कर 15 करोड़ से ज्यादा कमीशन लिया। घोटाले के पैसे प्रॉपर्टी में लगाए हैं। इसकी जांच चल रही है।
विजय ने अपने करीबी अतुल सिंह और मुकेश मनचंदा के नाम पर ओम साईं बेवरेज लिमिटेड नामक कंपनी बनाई। इसकी 52 फीसदी हिस्सेदारी विजय ने खुद के पास रखी। यह कंपनी विदेशी शराब कंपनी से शराब खरीदती थी। इसमें अपना 10 प्रतिशत कमीशन जोड़कर सरकार को सप्लाई करती थी। इस कमीशन का 60 फीसदी सिंडिकेट और 40 फीसदी कमीशन खुद रखता था।
क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।
डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर बेची गई शराब
ED की ओर से दर्ज कराई गई FIR की जांच ACB कर रही है। ACB से मिली जानकारी के अनुसार साल 2019 से 2022 तक सरकारी शराब दुकानों से अवैध शराब डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर बेची गई। इससे शासन को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ है।
घोटाले की रकम 2161 करोड़
निदेशालय की ओर से कवासी लखमा के खिलाफ एक्शन को लेकर कहा गया कि, ED की जांच में पहले पता चला था कि अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अन्य लोगों का शराब सिंडिकेट छत्तीसगढ़ राज्य में काम कर रहा था। इस घोटाले की रकम 2161 करोड़ रुपए है। जांच में पता चला है कि कवासी लखमा को शराब घोटाले से पीओसी से हर महीने कमीशन मिला है।