छत्तीसगढ़ का आज स्थापना दिवस, जानिए कैसे मिला राज्य को छत्तीसगढ़ का नाम

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रायपुर।  1 नवंबर इस तारीख का भारत के इतिहास में बहुत महत्व है। इस दिन वर्षों पहले देश के विभिन्न राज्यों का भाषा के आधार पर पुनर्गठन करने का फ़ैसला लिया गया था। 1 नवंबर के दिन साल 1956 से लेकर साल 2000 तक भारत के छह अलग-अलग राज्यों का जन्म हुआ। इसमें मध्य-प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक और केरल शामिल हैं। ये छह राज्य एक ही दिन अपना स्थापना दिवस मनाते हैं। इन छह राज्यों के अलावा साल 1956 में 1 नवंबर के दिन ही देश की राजधानी दिल्ली को भी केंद्र शासित प्रदेश के रूप में पहचान दी गयी थी।

छत्तीसगढ़ का आज स्थापना दिवस है। आज छत्तीसगढ़ को अलग हुए पूरे 21 बरस हो गए। यानी प्रदेश अब अपने युवावस्था में है। अबतक के सफर में छत्तीसगढ़ ने नित नई ऊंचाईयों को हासिल किया है। शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई पहचान बनाने में सफल रहा है। आज से राज्योत्सव की शुरुआत भी हो रही है। जहां छत्तीसगढ़ी कला और संस्कृति की छटा बिखरेगी। साल 2000 में जुलाई में लोकसभा और अगस्त में राज्यसभा में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के प्रस्ताव पर मुहर लगी। राज्य के स्थापना दिवस के मौके पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा है। वैसे तो राज्य के स्थापना दिवस पर हर साल पांच दिन तक विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता आया है। इस साल 2 नवंबर को धनतेरस और 4 नवंबर को दीपावली पर्व है, इसलिए राज्योत्सव केवल दो दिन 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को ही सेलिब्रेट किया जा रहा है।

1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आया था। साल 2000 में जुलाई में लोकसभा और अगस्त में राज्यसभा में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के प्रस्ताव पर मुहर लगी। जिसके बाद 4 सितंबर 2000 को भारत सरकार के राजपत्र में प्रकाशन के बाद 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ देश के 26वें राज्य के रूप में दर्ज हो गया। छत्‍तीसगढ़ क्षेत्रफल के हिसाब से देश का नौवां बड़ा राज्‍य है और जनसंख्‍या की दृष्टि से इसका 17वां स्‍थान है। वर्तमान में प्रदेश में कुल 28 जिले हैं।

छत्तीसगढ़ नाम के पीछे का इतिहास राज्य का पौराणिक नाम तो कौशल राज्य है, जो भगवान श्रीराम की ननिहाल कहा जाता है। लगभग 300 साल पहले गोंड जनजाति के शासनकाल के दौरान इस राज्य को छत्तीसगढ़ नाम मिला था। छत्तीसगढ़ के नाम को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं पर असल कारण था गोंड राजाओं के 36 किले। जिसे किलों को गढ़ भी कहा जाता था। इसी कारण इस क्षेत्र का नाम छत्तीसगढ़ पड़ा। ज्यादातर इतिहासकारों का मानना है कि कल्चुरी राजाओं द्वारा 36 किले या कई गांवों को मिलाकर गढ़ बनाए गए थे। इस इलाके को कोसल या दक्षिण कोसल के तौर पर जाना जाता था। यह उस समय की बात है जब रामायण काल से 17वीं शताब्दी का दौर चल रहा था।

कल्चुरी राजाओं के समय में छत्तीसगढ़ की राजधानी आज के समय के बिलासपुर के पास स्थित शहर रतनपुर, हुआ करता था। शिवनाथ नदी के उत्‍तर में कल्‍चुरियों की रतनपुर शाखा के अंतर्गत 18 गढ़ और दक्षिण में रायपुर शाखा के अंतर्गत 18 गढ़ बनाए गए थे।

रतनपुर राज्य के अधीनस्थ 18 गढ़

रतनपुर, विजयपुर, पंडर भट्टा, पेंड्रा, केन्दा, बिलासपुर, खरौद, मदनपुर (चांपा), कोटगढ़, कोसगई (छुरी), लाफागढ़ (चैतुरगढ़), उपरोड़ागढ़, मातिनगढ़, करकट्टी-कंड्री, मारो, नवागढ़, सेमरिया।

रायपुर के 18 गढ़ों के नाम

रायपुर, सिमगा, ओमेरा, राजिम, फिंगेश्वर, लवन, पाटन, दुर्ग, सारधा, सिरसा, अकलबाड़ा, मोहंदी, खल्लारी, सिरपुर, सुअरमार, सिंगारपुर, टैंगनागढ़, सिंघनगढ़ थे।

छत्तीसगढ़ की राजनीति

छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के समय अजीत जोगी (ajit jogi) पहले मुख्यमंत्री बने। लेकिन 2003 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा और बीजेपी के डॉ. रमन सिंह (raman singh) ने प्रदेश के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण किया। रमन सिंह लगातार तीन बार प्रदेश के सीएम रहे। लेकिन 2018 में कांग्रेस ने जोरदार वापसी की और भूपेश बघेल (bhupesh baghel) प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।

छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं। वहीं अगर लोकसभा की बात करें तो राज्य में 11 सीटें हैं। वर्तमान में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 69 पर कांग्रेस का कब्जा है। लोकसभा में बीजेपी के पास 9 जबकि कांग्रेस के पास सिर्फ दो सीटें हैं।