मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शामिल हुए शहीद शिरोमणि गैंदसिंह के शहादत दिवस कार्यक्रम में

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज डौण्डी विकासखण्ड के ग्राम ठेमाबुजुर्ग में अखिल भारतीय हल्बा-हल्बी समाज महासभा द्वारा आयोजित शहीद शिरोमणि गैंदसिंह शहादत दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने शहीद गैंदसिंह के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए क्षेत्रवासियों की मांग पर ग्राम ठेमाबुजुर्ग में मंगल भवन निर्माण के लिए 20 लाख रूपए की मंजूरी देने के साथ ही ठेमाबुजुर्ग के समीप बहने वाली नदी में पुलिया निर्माण की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि विकास कार्यों के लिए राशि की कमी नहीं होगी। मुख्यमंत्री ने हल्बा समाज के लोगों की मांग पर शहीद गैंदसिंह की आदमकद प्रतिमा की स्थापना की घोषणा की और कहा कि समाज के लोग जहां स्थान तय करेंगे, वहां शहीद गैंदसिंह की प्रतिमा स्थापित की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने शहीद गैंदसिंह को याद करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के इस महान सपूत ने आज ही के दिन सन् 1825 में अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हुए थे। अंग्रेजो की गुलामी न स्वीकार करते हुए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई का शंखनाद किया। अंग्रेजों के खिलाफ इस लड़ाई में परलकोट और अबूझमाड़ के आदिवासियों ने शहादत दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि 1857 के गदर को हम याद करते हैं, उससे पहले 1825 में अबूझमाड़ में, परलकोट में आजादी की पहली लौ जली थी, जिसमें शहीद गैंदसिंह ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिसका इतिहास जितना गौरवशाली होता है, उसका भविष्य भी उतना ही गौरवशाली होता है। शहीद गैंदसिंह की स्मृति को अक्षुण्ण बनाने के लिए उनकी पुण्यतिथि पर गर्व और सम्मान के साथ उन्हें याद किया जाता है।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि हमारी संस्कृति, बोली-भाषा, रहन-सहन, खान-पान, सभ्यता को सहेजने का कार्य किया जा रहा है। हरेली, तीजा, कर्मा जयंती, विश्व आदिवासी दिवस की छुट्टी घोषित किया, ताकि हमारी पहचान बरकरार रहे। उन्होंने कहा कि प्रदेश की संस्कृति को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। बस्तर में घोटुल को संरक्षित एवं संवर्धित करने का काम हम कर रहे हैं ताकि हमारी प्राचीन परंपरा एवं संस्कृति बरकरार रहे। देवगुड़ी की सुरक्षा और विकास के लिए भी राशि दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़क, पुल-पुलिया तो बनेंगे ही यह जरूरी है, लेकिन विकास का यह पर्याय नहीं है हमारे विकास के केन्द्र में व्यक्ति है। छत्तीसगढ़ के 2 करोड़ 80 लाख लोगों का विकास और उनके जीवन में खुशहाली लाना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि राज्य में 37 प्रतिशत बच्चे कुपोषण और 41 प्रतिशत महिलाएं खून की कमी से पीड़ित हैं। इनको सुपोषित और स्वस्थ्य बनाना जरूरी है। इसके लिए मुख्यमंत्री सुपोषण योजना शुरू की गई है। छत्तीसगढ़ की मजबूती के लिए जरूरी है कि बच्चे स्वस्थ और शिक्षित हों। गरीब घरों के बच्चे भी अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सके, इसके लिए राज्य में 52 अंग्रेजी मीडियम स्कूल शुरू किए गए हैं। तकनीकी शिक्षा के लिए भी स्कूली बच्चों एवं युवाओं को हम बेहतर अवसर उपलब्ध करा रहे हैं।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस अवसर पर समाज के प्रतिभावान लोगों का सम्मान किया। इससे पहले प्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण, योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी एवं संस्कृति मंत्री तथा जिले के प्रभारी मंत्री श्री अमरजीत भगत और महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री श्रीमती अनिला भेंडिया ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। कार्यक्रम की समाप्ति पर समाज द्वारा मुख्यमंत्री श्री बघेल को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। इस अवसर पर गुण्डरदेही विधायक व संसदीय सचिव श्री कुंवर सिंह निषाद, संजारी-बालोद विधायक श्रीमती संगीता सिन्हा, कांकेर विधायक व संसदीय सचिव श्री शिशुपाल सोरी सहित अनेक जनप्रतिनिधि, कलेक्टर श्री जनमेजय महोबे, पुलिस अधीक्षक श्री जितेन्द्र सिंह मीणा और बड़ी संख्या में समाज के लोग मौजूद थे।

 

कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता छत्तीसगढ़ में कृषि, उद्यानिकी और वानिकी क्षेत्र का विकास करना है। पिछले दो वर्षों में 8 नए कृषि महाविद्यालय प्रारंभ किया गया है। छत्तीसगढ़ के विकास में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में जब कोविड के कारण देश में आर्थिक गतिविधियां ठप थी। छत्तीसगढ़ का सौभाग्य रहा कि सारी बाधाओं के बाद भी किसानों, मजदूरों और वनांचल के रहवासियों को आर्थिक गतिविधियों से जोड़े रखा। दो वर्षों में विश्वविद्यालय ने 34 नई प्रजातियों के बीज विकसित किए। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटिल ने स्वागत भाषण दिया और विश्वविद्यालय की गतिविधियों की जानकारी दी। कार्यक्रम में कृषि मंत्री ने धान की सुगंधित प्रजातियों को जिलेवार दशार्ता धान से धनी छत्तीसगढ़ का नक्शा स्मृति चिन्ह के रूप में मुख्यमंत्री को भेंट किया।