बलौदाबाजार। बलौदाबाजार में भी कई नाले और तालाब बारिश के दिनों में लबालब हैं। ऐसे में लोगों को आने-जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा ही हाल ग्राम पंचायत छेरकाडीह का भी है, जहां बच्चे आंगनबाड़ी और स्कूल जाने के लिए लकड़ी की अस्थायी जर्जर पुलिया का सहारा ले रहे हैं। लकड़ी की पुलिया पर जान जोखिम में डालकर छोटे-छोटे बच्चे नाला पार करते हैं, लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
ग्राम पंचायत छेरकाडीह (स) पलारी ब्लॉक मुख्यालय से लगभग 23 किलोमीटर दूर स्थित है। इसकी आबादी 1300 और वार्ड 15 हैं। यहां के वार्ड 1 और 2, जिसे भाटापारा मोहल्ले के नाम से जाना जाता, 40 परिवारों के 300 लोग पिछले 40 सालों से निवास कर रहे हैं। इन लोगों को बरसात के मौसम में अपने ही गांव में आने-जाने के लिए नाले पर बने अस्थायी लकड़ी की पुलिया का सहारा लेना पड़ता है। इसके बाद ही यहां के लोग और बच्चे स्कूल, आंगनबाड़ी, पंचायत की राशन दुकान या अन्य जगहों पर जा पाते हैं।
गांव का वार्ड नंबर- 1 और 2 यानी भाटापारा मोहल्ला गांव के नाले के ऊपर ही बसा हुआ है। इन दोनों वार्डों में सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है। यहां न आंगनबाड़ी केंद्र है, न स्कूल और न ही राशन की दुकान। इस दोनों वार्ड के 10 बच्चे आंगनबाड़ी केन्द्र, 25 बच्चे प्राथमिक स्कूल, 5 बच्चे मिडिल और 15 बच्चे हाई स्कूल जाते हैं। साथ ही कई युवा कॉलेज की पढ़ाई के लिए पलारी भी जाते हैं। इन सभी को हर दिन पानी से लबालब नाले से होकर गुजरना पड़ता है।
ग्रामीणों ने बच्चों को बरसात में नाला पार करने के लिए इसके ऊपर 4 फीट चौड़ा और 20 फीट लंबा अस्थायी लकड़ी का पुलिया बना दिया है। इस पर चढ़कर बच्चे इस पार से उस पार आना-जाना करते हैं, लेकिन हादसों की आशंका हर वक्त बनी हुई है। क्योंकि जब नाला उफान पर रहता है, तो लकड़ी की पुलिया काम नहीं आती। लोगों ने आधे हिस्से पर ही लकड़ी की पुलिया बनाई है, जो कम पानी रहने पर ही काम आती है। जब नाला उफान पर रहता है, तो लोग अपने बच्चों को कंधे पर बिठाकर नाला पार कराते हैं, तभी वे स्कूल या आंगनबाड़ी जा पाते हैं।