सरगुजा। अंबिकापुर स्थित छत्तीसगढ़ के एक मात्र सैनिक स्कूल में छठवीं के एक छात्र की संदिग्ध परिस्थियों में मौत हो गई। इसमें मामले में स्कूल प्रबंधन और प्रशासन के विरोधाभासी बयानों से कई तरह के सवाल उठने लगे हैं।
स्कूल प्रबंधन की तरफ से बताया जा रहा है कि छात्र की तबियत अचानक बिगड़ी, जबकि कार्यपालिक दंडाधिकारी के अनुसार छात्र दो दिन से बीमार था। इस घटना पर इसलिए भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि सात दिन पहले ही मेडिकल जांच की प्रक्रिया पूरी करने के बाद बच्चे स्कूल में एडमिशन दिया गया था। वहीं, इस घटना का कवरेज करने पहुंचे पत्रकारों को स्कूल के प्राचार्य ने न केवल कवरेज करने से रोकने का प्रयास किया बल्कि कैमरा भी छीनने की कोशिश की।
बच्चे की मौत से उनके परिजन सदमे में हैं। मां की आंखों से आंसू नहीं थम रहे हैं। वह शव गृह के बाहर बैठ कर बार-बार यही गुहार लगा रही है कि उसे एक बार उसके बच्चे से मिलने दे दिया जाए। उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा कि पूरी तरह स्वस्थ जिस बच्चे को उन्होंने एक हफ्ते पहले आर्मी मैंन बनाने का सपना के साथ सैनिक स्कूल दाखिल कराया था आखिर उसकी अचानक मौत कैसे हो गई।
दरअसल कैडेट ऋषभ बिलासपुर का रहने वाला था जिसने सैनिक स्कूल की प्रवेश परीक्षा पास करके करीब एक हफ्ते पहले ही यहां छठवीं कक्षा में दाखिला लिया था। बुधवार की सुबह अचानक उसकी तबियत बिगड़ने की बात प्रबंधन कह रहा है जिसके बाद कैडेट को मेडिकल कालेज अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। प्रबंधन यह भी दलील दे रहा है कि बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ था। ऐसे में सवाल यही है कि आखिर बच्चे की मौत कैसे हुई।
इधर प्रबंधन की सूचना पर जब परिजन अंबिकापुर पहुचे तो बेसुध बच्चे की मां चीख चीख कर कह रही थी कि प्रबंधन द्वारा बच्चे से बात भी नही कराया जाता और मां ये भी सवाल खड़ा कर रही है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि कुछ ही देर में बच्चे की मौत हो गई। इधर घटना के बाद कार्यपालिक दंडाधिकारी की उपस्थिति में पंचनामा तैयार किया गया जिसमें प्रबंधन के बयान से उलट मामला सामने आया क्योंकि पुलिस और नायब तहसीलदार दोनों ने ये बयान दिया कि बच्चे की तबियत दो दिन से खराब थी और आज सुबह बच्चा अचानक बेहोश होकर गिर गया। हालांकि इस पूरे मामले को लेकर डॉक्टरों की टीम ने पीएम किया है और पीएम की वीडियो ग्राफी भी कराई गई है।