धूप की आंच से डरता है कोरोना ! रिसर्च में सामने आई यह बात

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को बेहाल और बेबस बना दिया है। कोरोना की पुख्ता रोकथाम के लिए औषधि और टीका बनाने का प्रयास दुनियाभर में युद्धस्तर पर चल रहा है लेकिन अभी तक शत-प्रतिशत सफलता हासिल नहीं हुई है। इसी बीच लंदन से एक राहतभरी खबर सामने आई है। खबर के अनुसार धूप से हम कोरोना की घातकता को कम कर सकते हैं यानी कोरोना के कारण होनेवाली मौतों को घटा सकते हैं। मतलब साफ हो गया है कि धूप की आंच से कोरोना डरता है।

बता दें कि हिंदुस्थान में कोरोना की दूसरी लहर कहर ढा रही है हालांकि विश्व के कई देशों में कोरोना की तीसरी लहर भी चल रही है, जो बेहद खतरनाक है। विश्व में 13 करोड़ 61 लाख 77 हजार 783 लोग अब तक इससे संक्रमित हो चुके हैं जबकि 29 लाख 41 हजार 533 लोग अपनी जान गवां चुके हैं।

इस समय पूरी दुनिया में कोरोना से लोगों के संक्रमित होने व मरने का सिलसिला लगातार जारी है। ऐसे में कोरोना वायरस से खुद को वैष्ठसे बचाया जाए, इसको लेकर लंदन में चल रही एक स्टडी में नई संभावना सामने आई है। अध्ययन से पता चला है कि धूप में ज्यादा वक्त बिताने से कोरोना वायरस से मौत होने का खतरा कम हो जाता है।
स्टडी के अनुसार ज्यादा देर सूरज की रोशनी में रहने से, खासकर अल्ट्रावॉइलेट किरणों का संपर्क कोरोना वायरस से होनेवाली कम मौतों को लेकर है। ये स्टडी ब्रिटेन में एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया है, जिसमें कहा गया है कि अभी रिसर्च जारी है और इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि धूप में ज्यादा वक्त बिताने से कोरोना वायरस से मौत का खतरा कम हो जाता है। शोधकतार्ओं ने कहा है कि अगर धूप और कोरोना वायरस का कनेक्शन बैठ जाता है तो लोगों की जान बचाने में ये बेहद मदद मिल सकती है।
रिसर्च करनेवाले वैज्ञानिकों के मुताबिक इंग्लैंड और इटली में भी इसी तरह के स्टडी की गई है। रिसर्चर्स ने इंग्लैंड और इटली में उम्र, समुदाय, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, जनसंख्या घनत्व, एयर पॉल्यूशन, उस इलाके का तापमान और स्थानीय इलाके में पैष्ठले संक्रमण के स्तर को ध्यान में रखते हुए लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने और कोरोना से होनेवाली मौतों को लेकर रिसर्च किया है। स्टडी के मुताबिक धूप में ज्यादा वक्त बिताने से त्वचा से नाइट्रिक आॅक्साइड बाहर निकल जाता है, जिसके बाद कोरोना वायरस की शरीर में पैष्ठलने की क्षमता शायद कम हो जाती है और फिर उससे मौत होने की संभावना भी कम हो जाती है।