किसान आंदोलन के लिए बना शेड तोड़ा, नेता हिरासत में

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। नवा रायपुर में प्रशासन ने कयाबांधा गांव में लगा किसानों का पंडाल तोड़ दिया। उसके बाद भड़के किसान नवा रायपुर विकास प्राधिकरण-NRDA के दफ्तर में घुसकर बैठ गए। वहां पहुंची पुलिस ने किसान नेताओं को डिटेन किया। उन्हें तीन घंटे तक एक थाने से दूसरे थाने भेजा जाता रहा।

बताया जा रहा है, माना, मंदिर हसौद, आरंग, अभनपुर और राखी थाने की पुलिस ने संयुक्त रूप से कयाबांधा में किसान आंदोलन के पंडाल को घेर लिया। वहां किसानों ने धूप से बचने के लिए फूस की झोपड़ी नुमा पंडाल बना लिया था। पुलिस ने उसे अवैध बताया और बुल्डोजर चलाकर तोड़ दिया। वहां का सामान भी उठाकर ले गए। जैसे ही इसकी सूचना नवा रायपुर क्षेत्र के गांवों तक पहुंची लोग भड़क गए।

दोपहर बाद 3 बजे के करीब करीब 200-250 किसानों का एक जत्था नवा रायपुर विकास प्राधिकरण – NRDAके दफ्तर पहुंच गया। किसान NRDA दफ्तर में बैठकर नारेबाजी करने लगे। अफसरों ने उन्हें बातचीत के लिए बुलाया। इसी बीच भारी संख्या में पुलिस वहां पहुंच गई। किसानों को खींचकर बाहर निकाला गया और पुलिस की अलग-अलग गाड़ियों में बिठा लिया गया। एक गाड़ी तो सीधे मंदिर हसौद थाने पहुंची। लेकिन दो गाड़ियों को नवा रायपुर क्षेत्र के थानों के बीच घुमाया जाता रहा। करीब तीन घंटे के बाद सभी को राखी थाने में इकट्‌ठा किया गया, बाद में सभी को कहा गया कि उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं दर्ज हुआ है, उनको छोड़ा जा रहा है, लेकिन किसानों ने वहां से लौटने से इनकार कर दिया। देर रात तक थाने के भीतर-बाहर सैकड़ों किसान नारेबाजी कर रहे थे।

किसानों ने मांगा मुआवजा, नहीं तो गिरफ्तारी

नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष रूपन चंद्राकर ने बताया, पुलिस ने रात 10 बजे उन लोगों को थाने से छ़ोड़ा है। लेकिन वे लोग यहां से नहीं जाएंगे। हम लोग प्रशासन से नुकसान का मुआवजा मांगा है। पुलिस अधिकारी 50 हजार रुपए देने की बात कह रहे हैं, लेकिन हमारा नुकसान कहीं ज्यादा का है। अगर वे मुआवजा नहीं दे सकते तो उन्हें गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश करें। किसानों ने शनिवार को भी NRDA में प्रदर्शन करने की घोषणा की है।

किसान यूनियन भी आंदोलन में कूदा

आंदोलन का पंडाल तोड़े जाने के बाद भारतीय किसान यूनियन भी इसमें कूद पड़ा है। किसान नेता राकेश टिकैत ने हरिद्वार से वीडियो संदेश जारी कर किसानों से कहा, वे फिर जाकर धरना स्थल पर बैठें। बरसात आ गई है इसलिए ट्राली में पंडाल बनाएं। अब यह पूरे देश के किसानों का आंदोलन है। पूरा मुआवजा और समझौते के पालन किए बिना किसानों की जमीन नहीं लेने दी जाएगी। टिकैत ने कहा, उनकी लड़ाई केंद्र सरकार से भी है और छत्तीसगढ़ की सरकार से भी।