माँघी पुन्नी मेला पैरी उद्गम स्थल भाठीगढ़ में उमड़े श्रद्धालु

Chhattisgarh Crimes

पूरन मेश्राम/ मैनपुर। क्षेत्र के प्रमुख धार्मिक स्थल पैरी उद्गम भाठीगढ़ में आज शनिवार को मांघी पुन्नी स्नान करने दूर-दूर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचे। जहां सुबह से शाम तक आस्था की डुबकी लगाने श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने दूरदराज के श्रद्धालु का जत्था बड़ी संख्या में प्राचीन शिव मंदिर में उमड़ने लगा। जहां प्राकृतिक शिव मंदिर, मां पैरी मंदिर सहित देवी देवताओं के मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना कर क्षेत्र में सुख समृद्धि की कामना की गई।

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वहीं क्षेत्रभर के देवी देवता भाठीगढ़ तालाब में डांग डोली सहित पुन्नाी स्नान कर पहाड़ी के नीचे मेला स्थल पहुंचे। तहसील मुख्यालय मैनपुर से महज तीन किमी दूर पश्चिम दिशा मे क्षेत्र के प्रमुख धार्मिक व पर्यटन स्थल पैरी उद्गम में मांँघी पुन्नी के अवसर पर मेला का आयोजन किया गया। यहां के प्राकृतिक मनोरम दृश्य व धार्मिक स्थल होने के कारण अन्य वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष भारी भीड़ उमड़ पड़ी। देर रात तक शिव मंदिर सहित पहाड़ी के ऊपर मां पैरी मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। भाठीगढ़ के पहाड़ी के ऊपर विशाल पत्थर के बीच से छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदियों में से एक पैरी नदी का जन्म हुआ है। जिसे लोग पैरी उद्गम के रूप में जानते हैं और यहां पर मंदिर का निर्माण किया गया है।
आज शनिवार को सुबह से मां पैरी के दर्शन करने सीढ़ियों के माध्यम से पहाड़ी पर पहुंँचकर मां पैरी मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की। यहां श्रद्धालुओं को पैरी उद्गम के कुंड से निकल रहे जल को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। जिसे श्रद्धालुगण पूरे आस्था के साथ ग्रहण करते हैं।

सुबह से देर रात तक इस पहाड़ी के सीढ़ियों में हजारों श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा तो वहीं भाठीगढ़ स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर में भी पूजा अर्चना करने श्रद्धालु उमड़ पड़े। यहां पैरी समिति द्वारा भंडारा की भी व्यवस्था की गई थी। पैरी उद्गम पहाड़ी के नीचे पुन्नी मेला का आयोजन किया गया जहां क्षेत्रभर के देवी देवताओं की विशेष पूजा अर्चना की गई। क्षेत्रभर के प्रमुख देवी देवताओं की डांग डोली, ध्वज, आंगा लेकर पहुंची और मां दंतेश्वरी, मां बम्हनीन, मां शीतला, मां भाठीगढ़ीन, मां बस्तरीन, मां जिड़ारिन के साथ सभी देवी देवताओं की झांकर पुजारी बैगा सिरहा द्वारा विशेष पूजा अर्चना के बाद देवी देवताओं की शोभा यात्रा निकालकर मड़ई बिहाई गई। देवी देवताओं के शौर्य प्रदर्शन व नृत्य को भी देखने लोगों में एक अलग उत्साह देखा गया।