पेट्रोल-डीजल की कीमतों को घटाने की कवायद हुई शुरू, तेल कंपनियों की बुलायी गयी बैठक

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नयीदिल्ली । पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच पार्लियामेंट स्टैंडिंग कमेटी की बैठक 17 जून को बुलाई गई है. स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों के साथ देश की अलग-अलग तेल कंपनियों के अधिकारियों को हाजिर होने का निर्देश दिया गया है. इस बैठक में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड के अधिकारी शामिल होंगे. बैठक में मौजूदा कीमतों और तेल की मार्केटिंग के मसले पर जानकारी मांगी जाएगी.

पिछले कुछ दिनों से तेल की आसमान पर पहुंची कीमतों की वजह से देश में महंगाई दर भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर है. सरकार भी साफ कर चुकी है कि वो पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर कुछ नहीं कर सकती, क्योंकि ये पूरी तरह से ग्लोबल मार्केट के हवाले है, यानी जिस हिसाब से दुनिया में कच्चा तेल घटेगा बढ़ेगा वैसे ही पेट्रोल और डीजल के दाम भी घटेंगे और बढ़ेंगे और कच्चा तेल लगातार महंगा हो रहा है.

इस बीच ईंधन की कीमतें घटाने की भी तैयारी शुरू हो गई है. पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ने पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर एक अहम बैठक बुलाई है, इस बैठक में पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों के साथ साथ देश की सरकारी तेल कंपनियों IOC, BPCL, HPCL के अधिकारियों को भी बुलाया गया है. ये बैठक इसी महीने 17 जून को होनी है. बैठक में तेल की बढ़ती कीमतों की वजह, उसका हल निकालने पर चर्चा की जाएगी. इस बात पर भी विचार होगा कि क्या कोई रास्ता है जिससे कीमतें घटाई जा सकें या किसी भी तरह से लोगों को थोड़ी राहत दी जा सके. स्टैंडिंग कमेटी की ओर से इस बैठक में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स, नैचुरल गैस की मौजूदा प्राइसिंग, मार्केटिंग और सप्लाई को लेकर जानकारी मांगी जाएगी. इस बैठक की अगुवाई रमेश बिधूड़ी करेंगे.

केंद्र और राज्य सरकारें वसूलती हैं भारी टैक्स

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पेट्रोल की कीमतों में 60 परसेंट हिस्सा सेंट्रल एक्साइज और राज्यों के टैक्स का होता है, जबकि डीजल में ये 54 परसेंट होता है. पेट्रोल पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी 32.90 रुपये प्रति लीटर है, जबकि डीजल पर 31.80 रुपये प्रति लीटर है. पेट्रोल डीजल की कीमतों में आमतौर पर रोज बदलाव होता है, ये कीमतें बेंचमार्क अंतरराष्ट्रीय क्रूड कीमतों और फॉरेन एक्सचेंज रेट के आधार पर तय होती हैं. यानी साफ है कि जबतक केंद्र और राज्य सरकारें टैक्स कम नहीं करती हैं, आम आदमी को महंगाई से राहत मिलना मुश्किल है.