डिजिटल इंडिया के शोर में गुम हो गई सुविधाएं, परेशानियों से तंग आकार विद्यार्थियो ने कहा नहीं चाहिए स्कॉलरशिप

Chhattisgarh Crimes

शिखादास/ छत्तीसगढ़ क्राइम्स

पिथौरा। आज हम सब डिजिटल युग में जी रहे हैं और इस युग में सब काम फटाफट हो रहा है पर यह सुविधा कई बार मुसीबत का कारण भी बन रहा हैं। ऐसा ही कुछ पिथौरा ब्लाक में सामने आया है यहां आय, निवास सहित जाति प्रमाण पत्र बनाने में उगाही और अत्याधिक देरी के शिकार छात्रों के पालकों ने स्कूल के प्राचार्य को लिखित में पत्र लिखकर स्कॉलरशिप लेने से साफ़ इंकार कर दिया है।

यहां पर देखने वाली बात यह है कि जिस स्कॉलरशिप से गरीब विद्यार्थियों को पढ़ने में बहुत मदद मिलती हैं उसे लेने से इसलिए इंकार कर दिया क्योंकि वें उस भ्रष्ट्राचार का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं जो हर सरकारी कार्यालय में अंगद की पांव की तरह जड़े जमा चुका है! यहां पर यह सवाल भी खड़ा होता है की जो जनप्रतिनिधि हमेशा लोगों के परेशानी और सुख दुख के समय साथ खड़े होने का दंभ भरते थकते नहीं है वें ऐसे समय कहा नदारत हों जाते हैं जब विधार्थी आय, निवास, जाति प्रमाण पत्र के लिए मशक्कत करते ना उम्मीद होकर स्कॉलरशिप को लेने से इंकार कर रहे हैं?

ज्ञात हो कि स्थानीय तहसील कार्यालय में एक प्रमाण पत्र बनाने के नाम पर 300 से 1000 रुपये तक वसूले जा रहे है। इस प्रतिनिधि को एक स्कूल के प्राचार्य ने इस संबंध में पालक का लिखा पत्र भी दिखाया। दूसरी ओर इस मामले में तहसीलदार का पक्ष जानने का प्रयास किया गया तब पता चला कि यहां विगत पखवाड़े भर से तहसीलदार नही है।जबकि अनुविभागीय अधिकारी ने इस प्रतिनिषि का मोबाइल ही रिसीव नही किया।

मिली जानकारी के अनुसार पिथोरा तहसील कार्यालय में हितग्राही लगातार परेशान हो रहे है।इस संबंध में प्रतिनिधि को तहसीलदार के मातहत कर्मियों ने बताया कि विगत पखवाड़े भर पूर्व यहां पदस्थ एक नायाब तहसीलदार आर के दीवान के पदोन्नति में अन्यंत्र जाने के बाद श्री नेताम तहसीलदार को प्रभार सौंपा गया था परन्तु उनके कभी कभार ही बैठने के कारण प्रमाण पत्रों का काम पेंडिंग होने लगा है।इसका फायदा स्थानीय कुछ दलाल उठाने लगे और खास लोगो के प्रमाण पत्र तो आसानी से बनने लगे परन्तु आम लोगो के लिए प्रमाण पत्र बनवाना परेशानी का सबब बना हुआ हैं।

इस प्रतिनिधि को भी ग्राम पाटन दादर की एक छात्रा मिली उसने बताया कि वह रायपुर के एक कालेज में पढ़ना चाहती है जिसके लिए अन्य पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्र की जरूरत है परन्तु तहसील कार्यालय में ऑफिस ऑफिस का खेल चल रहा है। इस छात्रा को लोक सेवा केंद्र से भुइयां फिर भुइयां से लोकसेवा केंद्र रिफर किया जाता रहा जिससे उक्त छात्रा परेशान ही गयी। इस संबंध में भुइयां प्रभारी गोविंद पटेल ने बताया कि उनके पास लोक सेवा केंद्र से अधूरे दस्तावेज भेजे गए है।इस सम्बंध में लोक सेवा केंद्र से पता लगाने पर केंद्र प्रभारी ने अपनी खामी छिपाने के लिए नेट को ही दोषी ठहरा दिया। प्रभारी के अनुसार उन्होंने हितग्राही छात्रा के समस्त दस्तावेज भुइयां में भेजे है परन्तु भुइयां पहुचते पहुचते अधूरे कैसे हो गए। इस पर उन्होंने नेट स्लो की बात कही।

एसडीएम मोबाइल अटेंन नही करते

उक्त मामले में परेशान हितग्राहियों के संबंध में जानकारी देने एसडीएम के मोबाइल पर बात करने का प्रयास किया परन्तु उन्होंने काल रिसीव नही किया।इसके बाद मेसेज भेज कर भी मामले के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया परन्तु इसका भी जवाब उन्होंने नही दिया।

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