वनांचल से मैदानों तक किसानों ने जैविक खेती कर बनाया अपना ब्रांड, हर जिले में एक विकासखंड होगा पूर्ण जैविक

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रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश को जैविक खेती ओर ले जाने के लिए काम कर रही है। इससे किसानों की पहचान भी बन रही है। वनांचल से लेकर मैदानी इलाकों में स्थानीय किसानों ने अपना ब्रांड तैयार किया है। राज्य सरकार ने दंतेवाड़ा के बाद अब प्रदेश के हर जिले के एक विकासखंड में जैविक खेती कराने का निर्णय लिया है। इसे पूर्ण जैविक विकासखंड का प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा।

बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्र के किसानों ने जैविक खेती के लिए हरियर बस्तर ब्रांड तैयार किया है। इसी तरह दंतेवाड़ा में आदिम जैविक, रायगढ़ में केलो जैविक उत्पाद, कबीरधाम में मैकल्स नेचर, राजनांदगांव में आरुग जैविक, बलरामपुर में चांगरो, मुंगेली में आगर जैव उत्पाद, जशपुर में जशपुर एग्रोफेश, दुर्ग में शिवनाथ आर्गनिक,सरगुजा में बांसाझाल राइस नाम से किसान अपने जैविक उत्पाद को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेच रहे हैं। इन किसानों को अपने खेत को जैविक प्रमाणीकरण के रूप में घोषित कराया है।

इस वर्ष इतने किसानों ने किया आवेदन

किसानों ने छह हजार हेक्टेयर में जैविक खेती का प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए आवेदन किया है। इस वर्ष तीन हजार हेक्टेयर में जैविक खेती की शुरुआत हुई है। यहां किसान अनाज, लघु धान्य और दलहन-तिलहन की जैविक खेती कर रहे हैं। अगले खरीफ सीजन में भी इतना ही लक्ष्य रहेगा। राज्य सरकार का मानना है कि गोधन न्याय योजना से छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है, तो दूसरी ओर जैविक खेती को बढ़ावा भी मिल रहा है। गोबर-गोमूत्र से बने वर्मी कंपोस्ट का उपयोग किसान बड़ी संख्या में करने लगे हैं। दंतेवाड़ा के बाद गरियाबंद, बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर को पूर्ण जैविक जिला घोषित करने का लक्ष्य रखा गया है। दंतेवाड़ा में रासायनिक खाद पूरी तरह से प्रतिबंधित है।

राज्य-केंद्र दोनों की योजनाएं: राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2014 से राज्य पोषित जैविक खेती मिशन और 2016 से केंद्र प्रवर्तित परंपरागत कृ षि विकास योजना चल रही है। जैविक खेती मिशन के तहत प्रदेश में 39950 किसान 15980 हेक्टेयर और परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत 25445 किसान 25 हजार हेक्टेयर में जैविक किया जा रहा है। इन किसानों ने 34 हजार 980 हेक्टेयर क्षेत्र को पीजीएस-इंडिया (पार्टिसिपेटरी गारंटी सिस्टम आफ इंडिया) के तहत जैविक प्रमाणीकरण क्षेत्र घोषित कराया है।

छत्तीसगढ़ कृषि उत्पादन आयुक्त डा. कमलप्रीत का कहना है कि राज्य सरकार की गोधन न्याय योजना के तहत गोबर से वर्मी कंपोस्ट बनाया जा रहा है। इसे किसान खरीद रहे हैं और जैविक खेती कर रहे हैं।