पूरी सहायक प्रोफेसर की भर्ती पर रोक नहीं, हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति के एक पद को खाली रखने का दिया है आदेश

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक भर्ती पर काले बादल छा गये हैं। याचिकाकर्ता दुर्गेश सागर की याचिका पर हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति के आरक्षित एक पद पर भर्ती पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। जस्टिस गौतम भादुरी की सिंगल बेंच में छह हफ्ते के बाद इस मामले में अगली सुनवाई का आदेश दिया है। आपको बता दें कि सोशल मीडिया में ये खबरें आयी थी की पूरी सहायक भर्ती की प्रक्रिया पर ही रोक लगा दी गयी है, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। सिर्फ एक विषय के सहायक प्राध्यापक के अनुसूचित जाति के एक पद पर भर्ती पर रोक लगायी है।

याचिकाकर्ता ने अपने वकील अंजिनेश शुक्ला के जरिये भर्ती प्रक्रिया को चुनौती दी थी। अंजिनेश शुक्ला ने याचिका के जरिये बताया था कि गलत जानकारी देकर एक अभ्यर्थी ने पीएचडी की डिग्री हासिल की थी। याचिका में ये भी कहा गया था कि अभ्यर्थी ने पीएचडी को लेकर जो अपने डिक्लेयेरशन दिये थे, वो गलत थे। पीएचडी की घोषणा पत्र में इस बात की जानकारी नहीं दी कि वो ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के तौर पर पदस्थ हैं। वहीं जिस विश्वविद्यालय से अभ्यर्थी ने पीएचडी की डिग्री ली, वो ICAR से मान्यता प्राप्त भी नहीं था। अभ्यर्थी ने ना तो विश्वविद्यालय को बताया था कि वो सरकारी सेवा में पदस्थ हैं और ना ही विभाग को ये जानकारी दी कि वो विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे हैं।

कोर्ट ने याचिका पर एग्रीकल्चर स्टेटिक्स के अनुसूचित जाति के सहायक प्रोफेसर के एक पद पर नियुक्ति ना करने का आदेश दिया है, ताकि इस मामले में अगली सुनवाई छह हफ्ते बाद करने का आदेश दिया है।