सतर्कता डोज के नाम पर आए फोन तो हो जाएं सतर्क, हो सकते हैं ठगी का शिकार

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। यदि आपको कोरोना की सतर्कता डोज के लिए फोन आए, तो सतर्क हो जाएं, क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही आपकी जेब खाली कर सकती है। फोन पर बूस्टर डोज बुकिंग करने वाला कोई स्वास्थ्य कर्मचारी नहीं, बल्कि साइबर अपराधी होगा। साइबर अपराधी समय-समय पर अपनी ठगी के ट्रेंड बदल रहे हैं। कोरोना की सतर्कता डोज के निशुल्क होते ही साइबर अपराधियों की सक्रियता बढ़ गई है। सतर्कता डोज का स्लाट बुक कराने के नाम पर लोगों को ठगने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में इस तरह के फोन आने पर सावधानी बरतना जरूरी हो गया है।

कोरोना की सतर्कता डोज फ्री होते ही टीका लगवाने लोगों में होड़ मच रही है। वहीं अब इस स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश साइबर अपराधी कर रहे हैं। हो यह रहा है कि पिछले कुछ दिनों से लोगों के पास फोन आ रहा है, उसमें ये अपराधी अपने आपको स्वास्थ्य विभाग का कर्मचारी बता रहे हैं। वे कह रहे कि यदि सतर्कता डोज लगानी है कि तो फोन के माध्यम से आपके निकटतम स्वास्थ्य केंद्र में स्लाट बुक कर देते हैं। इसके बाद आसानी से आपको सतर्कता डोज लग जाएगी।

बस आपको कुछ व्यक्तिगत जानकारी देनी होगी। इसके बाद आपके मोबाइल में ओटीपी नंबर आएगा, उसे बताना होगा। यह प्रक्रिया पूरी होते ही सतर्कता डोज के लिए आपका पंजीयन हो जाएगा। जबकि वास्तविकता यह है कि स्वास्थ्य विभाग से ऐसा फोन ही नहीं किया जा रहा है। विभाग सिर्फ ऐसे लोगों को मैसेज भेज रहा है, जिन्हें दूसरी डोज लगे छह माह हो चुके हैं। उन्हें मैसेज से यह बताया जा रहा है कि आपकी सतर्कता डोज का समय आ चुका है।

आप सतर्कता डोज लगवा सकते हैं। साफ है कि साइबर अपराधी टीकाकरण के नाम पर लोगों को ठगने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में लोगों कासावधानी बरतना जरूरी हो गया है और यदि इस तरह का कोई भी फोन आए तो उसे कोई भी जानकारी न दें। सीधे तौर पर ऐसे फोन को दरकिनार करंे। इससे आप साइबर ठगी से बच सकेंगे। हालांकि अभी तक जिला स्तर पर कोई भी इसका शिकार नहीं हुआ है। इसके बाद भी ऐसे फोन आने पर सावधानी बरतना जरूरी हो गया है।

इस तरह करते हैं ठगी

साइबर अपराधी फोन करने से पहले व्यक्ति के संबंध में पूरी जानकारी रखता है। फोन कर सबसे पहले खुद को स्वास्थ्य विभाग का कर्मचारी बताता है, उसके बाद दोनों डोज लगने की तिथि बताते हैं, ताकि आपको उन पर पूरा विश्वास हो जाए। उसके बाद बूस्टर डोज के लिए रजिस्ट्रेशन कराने की बात कहते हैं और कुछ व्यक्तिगत जानकारी लेते हैं। इसके बाद मोबाइल पर ओटीपी आने के बाद उसे बताने को कहते हंै। ओटीपी बताने के बाद लोकेशन कन्फर्मेशन के लिए एक एसएमएस आने की जानकारी देकर फोन काट देते हैं। इसके कुछ देर बाद एसएमएस आएगा, लेकिन वह एसएमएस खाते से रुपये निकल जाने का होगा।

पांच हजार ईनाम का भी मिल चुका है झांसा

स्वास्थ्य विभाग के पास लोगों की यह भी शिकायत आई है कि हमें फोन आया है कि आपने दो डोज लगवाकर जागरूक होने का परिचय दिया है। ऐसे में आपके मोबाइल नंबर के हिसाब से आपको पांच हजार नकद इनाम के लिए चुना गया है। आपको मैसेज भेजा जाएगा, उसमे लिंक को क्लिक कर फार्म भरना होगा। यह भी साइबर ठगों के द्वारा किया जा रहा है। इस तरह के फोन को भी नजरअंदाज करने की हिदायत स्वास्थ्य विभाग ने दी है।

ऐसे बचें ठगी से

साइबर ठग सक्रिय हैं और समय-समय पर ठगी का तरीका बदलते हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि कोई भी अज्ञात फोन आने पर उसका विश्वास न करें। साथ ही किसी भी नंबर से मैसेज आए और उसमें लिंक दिया गया हो तो उसे भी क्लिक न करें। इससे आप साइबर ठगी का शिकार हो सकते हैं। रही बात कोरोना की सतर्कता डोज की तो इसके लिए हर केंद्र में पंजीयन की सुविधा दी गई है। वहां जाते ही सबसे पहले आपका कोविन एप में पंजीयन किया जाता है, उसके बाद टीका लगाया जाता है। यह ठगी से बचने का सबसे सुरक्षित रास्ता है।

स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस तरह से फोन के माध्यम से आनलाइन स्लाट बुक करने की कोई सुविधा नहीं दी गई है। कोविन पोर्टल में पंजीयन कराने की सुविधा हर केंद्र में दी गई है। ऐसे फोन काल आने पर सतर्क रहना जरूरी है। हो सकता है कि सतर्कता डोज के नाम पर आप ठगी का शिकार हो सकते हैं।

डा. मनोज सैमुअल, जिला टीकाकरण अधिकारी