बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में 18+ वैक्सीनेशन को लेकर सरकार ने बुधवार को हाईकोर्ट में शपथ पत्र दायर कर दिया। इसमें वैक्सीनेशन में वर्गीकरण की बात से इनकार किया गया है। यह शपथ पत्र असिस्टेंट प्रोफेसर के नाम से दिया गया। वहीं बचे हुए टीकों को लेकर भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं है। पॉलिसी ड्राफ्ट और एफिडेविट में भी अंतर है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई है। कहा कि जिम्मेदार शासकीय अधिकारी की तरफ से शपथ पत्र पेश होना चाहिए था। अगली सुनवाई 21 मई को होगी।
वहीं शपथ पत्र पर कोर्ट की नाराजगी पर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि अगर कहेंगे तो चीफ सेक्रेटरी के नाम से शपथ पत्र पेश करा देंगे। वहीं कोर्ट ने शपथ पत्र की कॉपी न्यायमित्र को नहीं मिलने पर दो दिन बाद जवाब मांगा है। इससे पहले कोर्ट ने अंत्योदय में बच रही वैक्सीन को दूसरे वर्ग के लिए शिफ्ट करने को कहा था। तब राज्य सरकार ने बताया था कि वह ऐसा कर रही है, जिसके बाद कोर्ट ने शपथ पत्र प्रस्तुत करने का आदेश दिया था।
CG TEEKA टीका पर भी सवाल, पंजीकरण के बाद भी वैक्सीन नहीं
हाईकोर्ट में स्व प्रेरणा से चल रही सुनवाई में यह जनहित याचिका लगाई गई है। पिछली सुनवाई में अधिवक्ता पलाश तिवारी, राकेश पांडेय, हिमांशु चौबे, सब्यसाची भादुड़ी और अनुमय श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार ने अपने 9 पेज के जवाब में वैक्सीनेशन के लिए ‘CG TEEKA’ को भी जोड़ा है। इस पोर्टल में टीके के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा, पर इसकी व्यवस्था सही नहीं है। इसके कारण पंजीकरण के बाद भी वैक्सीन नहीं लग पा रही है।
इसलिए उलझा टीकाकरण और कोर्ट हुआ सख्त
राज्य सरकार ने 30 अप्रैल को आदेश जारी कर एक मई से 18+ के लिए नि:शुल्क टीकाकरण अभियान की घोषणा की थी। इस आदेश में कहा गया कि यह टीका सबसे पहले अन्त्योदय राशन कार्ड धारकों को लगेगा। उनको लग जाने के बाद BPL परिवारों के 18 से 44 आयु वर्ग और सबसे अंत में APL को टीका लगाया जाएगा। विपक्ष इसको आरक्षण बताकर विरोध कर रहा है। कोरोना संक्रमण मामले में स्व प्रेरणा से कोर्ट में चल रही सुनवाई में ही ये भी जनहित याचिकाएं लगाई गई हैं।