महासमुंद। इन दिनों जिले में अजीबोगरीब घटनाएं घट रही है। सोमवार को दलदली रोड स्थित अंग्रेजी एवं देशी शराब दुकान में जांच करने तीन वाहनों में भर के पहुंची आबकारी विभाग की टीम के साथ ऐसे तीन लोग शामिल थे, जो आबकारी विभाग का था ही नहीं। लेकिन इस टीम की मौजूदगी में तीनों अंग्रेजी शराब दुकान का काउंटर बंद कर के कैश का मिलान के साथ स्टाक की जांच में जुटी रही। तो दूसरी ओर वहीं कार्यरत सुपरवाइजर सहित कर्मचारियों के साथ गाली गलौज और काम से निकालने की धमकी दिया जा रहा था। दूसरी ओर विभाग के अफसर कुछ भी कहने से बचते रहे हैं।
सोमवार की रात करीब 8 बजे आबकारी विभाग की टीम दलदली रोड स्थित अंग्रेजी एवं देशी शराब दुकान की जांच करने पहुंची थी। इस दौरान आबकारी विभाग के साथ पहुंचे बहारी तीन लोगों ने शराब दुकान प्रवेश करते ही सुपरवाइजर सहित कर्मचारियों के साथ गाली गलौज करते हुए छत्तीगढ़ियों को काम से भगाने की बात कह रहे थे। जिस से कर्मचारियों सहित स्थानीय लोग भड़क उठे। स्थानीय लोगों ने गाली गलौज करने वाले व्यक्ति को बहार निकालने की मांग आबकारी विभाग के अधिकारियों से करने लगे। माहौल बिगड़ता देख आबकारी विभाग के अफसरों ने इसकी सूचना सिटी कोतवाली को दी। तत्काल मौके पर थाना प्रभारी शेर सिंह पहुंच कर आबकारी विभाग के साथ आए तीनों व्यक्ति को पकड़कर अपने साथ थाने ले गए। तब कहीं जा कर मामला शांत हुआ। स्थानीय लोग इतने भड़के हुए थे कि तीनों व्यक्ति को मारने पर उतारू हो गए थे। पुलिस ने तीनों को रात में ही छोड़ दिया था। इस संबंध में आबकारी उप निरीक्षक श्री मधुकर का कहना है कि शिकायत मिली थी इस लिए जांच करने पहुंचे थे। जांच टीम में उप निरीक्षक सरिता मेश्राम, उप निरीक्षक वतन चौधरी, श्री सोनी शामिल थे।
आबकारी और पुलिस की भूमिका संदिग्ध…
आबकारी विभाग के अफसरों के मौजूदगी में तीनों व्यक्ति कैश और अंग्रेजी शराब का मिलान कर रहे थे। अगर वह तीनों व्यक्ति आबकारी विभाग के कर्मचारी थे तो काम के दौरान तीनों को पुलिस अपने साथ कैसे ले गई? अगर आबकारी विभाग के कर्मचारी नहीं थे तो फिर अंग्रेजी शराब के कैश काउंटर और शराब का स्टॉक की जांच अफसरों की मौजूदगी में कैसे कर रहे थे? वहां मौजूद आम लोग इस बात से हैरान रह गए। इतनी हिम्मत बहारी व्यक्ति कैसे जुटा सकते हैं। इस पर आबकारी और पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े होना लाजिमी है।