तवांग। 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भारत और चीन के सैनिकों की झड़प हुई थी। तवांग सेक्टर में हुई इस झड़प में दोनों तरफ के कुछ सैनिक मामूली रूप से जख्मी हुए। 6 घायल जवानों को इलाज के लिए गुवाहाटी के अस्पताल लाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, चीनी सैनिक तवांग इलाके में भारत के एक पोस्ट को हटाना चाहते थे।
न्यूज एजेंसी के अनुसार भारतीय सेना ने चीन की घुसपैठ का करारा जवाब दिया। इस घटना में चीनी फौज को भारतीय सेना से काफी ज्यादा नुकसान हुआ। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 17 हजार फीट की ऊंचाई पर यह झड़प हुई। चीन के 300 सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय सैनिक इस तरह की हरकत के लिए पहले से ही तैयार थे।
घटना के बाद कमांडर लेवल की बातचीत हुई और दोनों ही पक्षों के जवान वहां से हट गए। इस क्षेत्र में दोनों सेनाएं कुछ हिस्सों पर अपना-अपना दावा ठोकती आई हैं। 2006 से यह विवाद जारी है।
इससे पहले 15 जून 2020 को लद्दाख के गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के बीच झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि चीन के 38 सैनिक मारे गए थे। हालांकि चीन ने 4 सैनिक मारे जाने की बात ही कबूली थी।
लाठी-डंडों का इस्तेमाल किया जाता है
दोनों देशों के बीच मिलिट्री लेवल पर एक समझौता है। इसके तहत दोनों देशों के सैनिक एक तय दायरे में फायरिंग आर्म्स यानी रायफल या ऐसे ही किसी हथियार का इस्तेमाल नहीं करेंगे। अमूमन दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे को हाथों से ही पीछे धकेलते हैं। गलवान झड़प में चीनी सैनिकों ने कांटेदार डंडों का इस्तेमाल किया था। इसके बाद भारतीय सैनिकों ने भी इसी तरह के इलेक्ट्रिक बैटन और कांटेदार डंडों का इस्तेमाल शुरू कर दिया। लिहाजा, अब चीन को मुंहतोड़ जवाब मिलता है।
पिछले साल भी की थी हरकत
पिछले साल इसी क्षेत्र में 200 चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की थी। तब भी भारतीय सैनिकों ने इसे नाकाम कर दिया था। तब पेट्रोलिंग के दौरान सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हो गए थे और कुछ घंटों तक यह सिलसिला चला था। हालांकि इसमें भारतीय जवानों को कोई नुकसान नहीं हुआ और प्रोटोकॉल के मुताबिक बातचीत से विवाद सुलझा लिया गया।