उनके कार्यकाल में ही जमीन अधिग्रहण और उसके लिए मुआवजा तय हुआ था। इस मामले में पूर्व में गोबरा नवापारा के तत्कालीन नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण और पटवारी जितेंद्र साहू, दिनेश पटेल और लेखराम देवांगन निलंबित हो चुके हैं। उक्त अफसरों और स्टाफ पर कार्रवाई के बाद भी शासन स्तर पर इस मामले में जांच कर रही थी।
दरअसल, भारत माला सड़क परियोजना में अभनपुर में अफसर और भू-माफियाओं ने मिलकर बड़ा खेल किया था। रोड के लिए सरकार ने अभनपुर के किसानों की जमीन सड़क बनाने के लिए अधिग्रहित की थी, लेकिन जब मुआवजा बांटने की बारी आई तो जमीन के रिकॉर्ड को बदलकर अफसरों ने महज 9.38 किमी का मुआवजा महज 35 करोड़ से सीधे 324 करोड़ कर दिया। रिकार्ड में इस तरह का हेरफेर कर केंद्र से 246 करोड़ का भुगतान हासिल भी कर लिया है।
केवल 78 करोड़ का भुगतान नहीं हुआ है। पता चला है कि 246 करोड़ में कुछ पैसे ही किसानों को दिए गए बाकी बड़ी रकम, अफसर और जमीन माफिया हड़प गए। प्रारंभिक जांच में ही यह साबित हो गया कि कागजों में खेल कर फर्जीवाड़े की रकम दोगुने से भी अधिक कर दी गई है। इस वजह से केंद्र सरकार ने मुआवजा रोक दिया। इससे नाराज किसानों ने काम बंद करवा दिया था। ठेकेदार ने कई बार काम शुरू करने की कोशिश किया तो गांव वाले लाठी-डंडे लेकर आ गए। इस तरह किसानों ने काम को रुकवा दिया था।
जानिए क्या है प्रोजेक्ट
रायपुर-विशाखापट्टनम कॉरिडोर का निर्माण कुल 464 किलोमीटर तक करना है। यह सड़क तीन राज्यों से होकर जा रही है। इसमें छत्तीसगढ़ में 124.611 किमी, ओडिशा में 262.211 किमी और आंध्र प्रदेश में 99.629 किमी की दूरी तय होगी। कॉरिडोर को करीब 4 हजार करोड़ की लागत से बन रहा है। केशकाल की पहाड़ियों के अंदर से सुरंगनुमा सड़क बनाई जाएगी। यह सुरंग दुधावा डैम के पास से होते हुए कांकेर-केशकाल की पहाड़ियों से होकर एक्सप्रेस-वे सलना-पलना के बाद ओडिशा में प्रवेश करेगी। इसके साथ ही 70 किलोमीटर का एरिया वन विभाग के अंतर्गत भी आ रहा है।
इसमें रायपुर में कुल 124 किमी में कुल तीन अलग-अलग कंपनी काम कर रही है। इसमें पहले चरण 42 किमी का काम 29 सितंबर 2022 को काम शुरू हुआ था। इसे 29 दिसंबर 2024 तक बनाकर देना है। लेकिन भू- अधिग्रहण में गड़बड़ी उजागर होने के बाद प्रोजेक्ट में चार से पांच माह की देरी होने की संभावना है।
ऐसे हुआ खेल: जमीन अधिग्रहण के नियमों के अनुसार ग्रामीण अंचल में 500 वर्गमीटर से कम जमीन है तो उसका मुआवजा अधिक मिलता है। जमीन 500 वर्गमीटर से ज्यादा है तो उसका पैसा कम मिलता है। यानी एक एकड़ जमीन का मुआवजा 20 लाख होगा। इसे टुकडों में बांटकर 500 वर्गमीटर से कम कर दिया जाए तो मुआवजा बढ़कर करीब एक करोड़ रुपए हो जाएगा।
रायपुर- विशाखापट्टनम कॉरिडोर के पास होते ही बड़े रसूखदारों और किसानों ने अफसरों से मिलकर ज्यादातर जमीन को 500 वर्गमीटर से कम कर दिया। इससे मुआवजे की रकम करीब पांच गुना बढ़ गई। शक होने पर अफसरों ने जांच कराई।