हाईकोर्ट से मिला न्याय, MMI में पुराना प्रबंधन बहाल, सदस्यों ने जताई खुशी

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। MMI सुपर मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल की बागडोर अब फिर से पुराने सदस्यों के हाथों में आ गई है। MMI राजधानी ही नहीं, बल्कि प्रदेश के नामी अस्पताल में शामिल है। पिछले दिनों अस्पताल के संचालक मंडल के कुछ सदस्यों ने इस पर कब्जा करने की नियत से पुराने सदस्यों को प्रबंधन से बाहर कर दिया था, लेकिन न्यायलय के आदेश के बाद अस्पताल की बागडोर अब फिर से पुराने सदस्यों के हाथों में आ गई है। इन सदस्यों ने इस अस्पताल को नई उंचाइयां देने के लिए काफी मेहनत की थी।

राजधानी रायपुर के MMI अस्पताल में फिर से लोगों को बेहतर और सर्वश्रेष्ठ सुपर मल्टी स्पेशलियिटी अस्पताल की सुविधाएं मिलने लगेगी। मजबूत प्रबंधन और इलाज की बेहतरीन व्यवस्था से इस अस्पताल को एक नई उचांइयों तक पहुंचाने वाला संचालक मंडल, बिलासपुर उच्च न्यायलय के आदेश के बाद फिर से बहाल हो गया है। गोयल ग्रुप ऑफ कंपनी के चेयरमेन सुरेश गोयल ने दूसरे सदस्यों की मौजूदगी में MMI ट्रस्ट के अध्यक्ष की कुर्सी संभाली। अध्यक्ष का पद दोबारा सम्हालने के बाद सुरेश गोयल ने कहा कि उनकी प्राथमिकता रहेगी की अस्पताल में पिछले कुछ समय में कमियां आई है, उसे दूर किया जाएगा और लोगों को एक बार फिर से विश्वास दिलाया जाए कि MMI में उन्हें बेहतरीन इलाज की व्यवस्था मिलेगी।

न्यायलय के फैसले का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि सत्य की जीत होती है, ये एक बार फिर साबित हो गया। जिन संचालक मंडल के सदस्यों को कुछ संचालकों ने जबरदस्ती बाहर कर दिया था। उन सब की आज दोबारा बहाली हो गई ।

MMI ट्रस्ट और इस संस्थान में अपने हक की लड़ाई लड़ने वाले रामअवतार अग्रवाल के मुताबिक कुछ सदस्यों ने जबरदस्ती संस्था पर अपना कब्जा कर लिया था। बकायदा इसके लिए उन्होंने शासन को भी गुमराह किया। जिसके बाद पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट गया। जहां से बिलासपुर उच्च न्यायलय को तीन माह के भीतर मामले का निपटाना करने के निर्देश दिए गए। जिसके तहत रोजाना सुनवाई करते हुए बिलासपुर उच्चन्यायलय 4 जनवरी को अपना आदेश दिया। जिसमें सभी पुराने सदस्यों को बहाल कर दिया । इससे साफ होता है की जिस नियत से कुछ सदस्यो ने कब्जा करने की कोशिश की थी…लेकिन वे अपने नियत में सफल नहीं हो सके।

बिलासपुर न्यायलय के फैसले से दोबारा बहाल हुए संचालक मंडल के सदस्यों ने कहा की ये न्यायलय का सहीं फैसला है। इससे न सिर्फ ट्रस्ट का काम बेहतर होगा, बल्कि अस्पताल को लेकर लोगों के मन में जो गलतफहमी पैदा होने लगी थी, वो भी जल्द दूर होगी और लोगों को विश्व स्तर के इलाज की सुविधा फिर से उपलब्ध हो सकेगी । साथ ही कुछ सदस्यों ने मांग की है कि जिन 4-5 लोगों ने संस्था को बदनाम करने की कोशिश की है। वे सभी से माफी मांगे।

अस्पताल के संचालक मंडल के बीच जारी विवाद और स्वयंभू कार्यकारिणी के फैसलों के कारण अस्पताल के डॉक्टरों पर भी खासा असर पड़ा था । अस्पताल के डॉक्टर भी दो गुटों में बंट गए थे, लेकिन इस विवाद पर बिलासपुर उच्च न्यायलय के फैसले के बाद एक बार फिर से उम्मीद जागी है। काम संभालने के बाद प्रबंधन के सदस्यों ने विश्वास दिलाया है छत्तीसगढ़ का यह हॉस्पिटल जल्द ही बेहतरीन सुविधाओं से लैस होगा। जहां पर सर्वेश्रेष्ठ डॉक्टरों की टीम मौजूद रहेगी। जिससे छत्तीसगढ़ के लोगों को फायदा मिलेगा।