अपहरण और हत्या के पांच आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा बरकरार, हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

Chhattisgarh Crimes

बिलासपुर. अपहरण और हत्या के मामले में हाईकोर्ट ने पांच आरोपियों के आजीवन कारावास की सजा को उचित ठहराया है. मामले की सुनवाई के बाद दिए गए फैसले में मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु ने कहा कि “संदेह चाहे कितना भी गंभीर हो, पर सबूत की जगह नहीं ले सकता. पहचान परेड परीक्षण और अभियुक्तों से साक्ष्य की बरामदगी अपीलकर्ताओं के अपराध को पुष्ट करती है.”

मामला कबीरधाम जिले में 3 फरवरी 2019 की रात को 23 वर्षीय चेतन यादव के अपहरण और हत्या से जुड़ा है. चेतन यादव को तीन लोगों ने पुलिस अधिकारी बनकर सोने की चोरी के मामले में पूछताछ के बहाने अगवा किया था. 4 फरवरी 2019 को धोबनी पथरा के पास के जंगल में उसका जला हुआ और खून से लथपथ शव मिला था. उसके सिर पर गंभीर चोटें थीं. हत्या कथित तौर पर एक व्यक्तिगत झगड़े के कारण हुई थी. इसमें शामिल आरोपी हरीश साहू का एक महिला के साथ प्रेम संबंध था, जिसकी सगाई मृतक चेतन यादव के साथ तय हुई थी. हरीश साहू ने सह-आरोपी जयपाल उर्फ ​​पालू कौशिक, विजय गंधर्व, सियाराम सैय्याम, विकास साहू और पवन निर्मलकर के साथ मिलकर सगाई को रोकने चेतन यादव की हत्या की साजिश रची.

दोषी व्यक्तियों ने फरवरी 2021 में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, बेमेतरा के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. कोर्ट ने तथ्य और साक्ष्यों के आधार पर अपहरण और हत्या के लिए विजय गंधर्व, जयपाल उर्फ ​​पालू कौशिक, हरीश साहू, विकास साहू और सियाराम सैय्याम के आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा. साथ ही साजिश और सबूतों को नष्ट करने के आरोप में अतिरिक्त सजा सुनाई. हालांकि पर्याप्त सबूत न होने से पवन निर्मलकर की दोषसिद्धि को खारिज कर दिया. आरोपी विकास साहू को पुलिस अधिकारी का रूप धारण करने के लिए धारा 170 के तहत भी दोषी ठहराते हुए एक साल की अतिरिक्त सजा दी गई.