मौसम विभाग का इस साल सामान्य बारिश का अनुमान, अनाज की पैदावार होगी अच्छी

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नई दिल्ली। इस साल मानसून के सामान्य रहने का अनुमान है। मौसम विभाग की तरफ से मंगलवार को ये जानकारी दी गई है। इससे एक दिन पहले प्राइवेट वेदर एजेंसी स्काईमेट ने देश में सामान्य से कम बारिश का अनुमान लगाया था। स्काईमेट के कहा था- देश के नॉर्दन और सेंट्रल रीजन में कम बारिश होने की सबसे ज्यादा संभावना है।

अगर बारिश सामान्य रहती है तो देश में फूड ग्रेन प्रोडक्शन भी नॉर्मल ही रहने का अनुमान है। यानी इससे महंगाई से राहत मिल सकती है। देश में किसान आमतौर पर 1 जून से गर्मियों की फसलों की बुआई शुरू करते हैं। ये वो समय होता है जब मानसून की बारिश भारत पहुंचती है। फसल की बुआई अगस्त की शुरुआत तक जारी रहती है।

इंडियन मीटियरोलॉजिकल डिपार्टमेंट यानी IMD ने बताया कि लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) की 96% बारिश हो सकती है। यदि बारिश LPA के 90-95% के बीच होती है तो इसे सामान्य से कम कहा जाता है। LPA का 96%-104% होती है तो इसे सामान्य बारिश कहा जाता है। LPA के 104% से 110% के बीच है तो सामान्य से ज्यादा बारिश कहते हैं। 110% से ज्यादा को एक्सेस बारिश और 90% से कम बारिश यानी सूखा पड़ना कहा जाता है।

मई में आएगा मानसून का अगला अपडेट

IMD ने बताया कि मई के अंतिम हफ्ते में मानसून का अगला अपडेट आएगा। वहीं अल-नीनो के असर पर कहा कि, इस साल अल-नीनो का असर मानसून सीजन के दूसरे हाफ में दिख सकता है। सभी अल-नीनो साल खराब मानसून साल नहीं होते हैं, बीते 40% अल-नीनो साल सामान्य या सामान्य से ज्यादा बारिश वाले रहे हैं।

बारिश पर असर डालने वाले ‘ला नीना’ और ‘अल नीनो’ क्या है?

ला नीना में समुद्र का पानी तेजी से ठंडा होता है। ला नीना से दुनिया भर के मौसम में असर पड़ता है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार इससे आसमान में बादल छाते हैं और बारिश होती है। भारत में कम और ज्यादा बारिश, ठंडी और गर्मी ला नीना पर ही निर्भर करती है। भारत में “ला नीना” की वजह से ज्यादा ठंड और बारिश की संभावना होती है।

अल नीनो में भी ला नीना की तरह दुनिया भर के मौसम पर असर पड़ता है। इसमें समुद्र का तापमान 3 से 4 डिग्री बढ़ जाता है। इसका प्रभाव 10 साल में दो बार होता है। इसके प्रभाव से ज्यादा बारिश वाले क्षेत्र में कम और कम बारिश वाले क्षेत्र में ज्यादा बारिश होती है। भारत में “अल नीनो” के कारण मानसून अक्सर कमजोर होता है। जिससे सूखे की स्थिति निर्मित होती है।

इकोनॉमी के लिए अच्छी बारिश जरूरी

देश में सालभर जितनी बारिश होती है, उसका 70% पानी दक्षिण-पश्चिम मानसून में बरसता है। अब भी हमारे देश में 70% से 80% किसान सिंचाई के लिए बारिश के पानी पर निर्भर है। ऐसे में उनकी पैदावार पूरी तरह से मानसून के अच्छे या खराब रहने पर निर्भर करती है। खराब मानसून होने पर महंगाई भी बढ़ती है।

एग्रीकल्चर सेक्टर की भारतीय अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी 20% के करीब है। वहीं, हमारे देश की आधी आबादी को कृषि क्षेत्र ही रोजगार देता है। अच्छी बारिश का मतलब है कि आधी आबादी की आमदनी फेस्टिव सीजन से पहले अच्छी हो सकती है। जिससे उनकी खर्च करने की क्षमता भी बढ़ेगी।