नई दिल्ली। मोदी सरकार का लक्ष्य है कि इस साल दिसंबर तक सभी चार श्रम कानूनों को एक बार में लागू कर दिया जाए और श्रम क्षेत्र के सुधारों की अंतिम सीमा को पूरा कर लिया जाए। यह बातें केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने कही। संसद ने मानसून सत्रा में तीन श्रम संहिता विधेयक पारित किया। इनमें आक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल- 2020, इंडस्ट्रियल रिलेशन बिल- 2020 और सोशल सिक्योरिटी बिल- 2020 शामिल हैं। वहीं वेज कोड बिल, 2019 पिछले साल संसद द्वारा पारित किया गया था।
श्रम मंत्रालय ने पिछले साल वेज कोड बिल पर मसौदा नियमों को परिचालित किया था, लेकिन इसे अंतिम रूप दिया गया और इसे लागू किया गया। मंत्रालय सभी चार श्रम कानूनों और नियमों को एक ही बार में लागू करना चाहता था क्योंकि ये सभी एक-दूसरे से लिंक हैं। पीटीआई से बात करते हु, श्रम मंत्री गंगवार ने कहा, “सरकार इस साल दिसंबर तक सभी चार श्रम कानूनों को लागू करके श्रम सुधारों को पूरा करने के लिए सभी प्रयास कर रही है । ” उन्होंने आगे कहा कि वेज कोड बिल पिछले साल पारित किया गया था और अब संसद द्वारा तीन और कोड पारित किए जाने के साथ एक बार में लागू किया जाएगा”। बता दें संसद में एक कानून पारित होने के बाद, इसे भारत के राष्ट्रपति के लिए भेजा जाता है। नियमों की अधिसूचना के बाद कानून लागू होता है।
किसी कानून के तहत शुरूआत में एक निश्चित समय के लिए नियमों का मसौदा अधिसूचित किया जाता और उसपर विचार लिए जाते हैं। उसके बाद नियमों को अंतिम रूप दिया जाता है और कानून को लागू करने के लिए उसको क्रियान्वित किया जाता है। तीन संहिताओं.. औद्योगिक संबंध संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा कार्य स्थिति संहिता पर नियमों का मसौदा नवंबर के पहले सप्ताह में जारी होने की उम्मीद है।
श्रम मंत्रालय इन तीनों संहिताओं तथा वेतन संहिता नियमों को इस साल दिसंबर तक अंतिम रूप देने और लागू करने की तैयारी कर रहा है। इसके बाद चारों संहिताएं कानून बन जाएंगी। इससे देश में श्रम क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाने वाले श्रम सुधार पूरे हो जाएंगे। सरकार व्यापक श्रम सुधारों के जरिये भारत को विश्वबैंक की कारोबार सुगमता रैंकिंग में शीर्ष 10 देशों में लाना चाहती है। कारोबार सुगमता रैंकिंग, 2020 में भारत 14 स्थानों की छलांग के साथ 63वें स्थान पर पहुंच गया है। ऊंची रैंकिंग से किसी देश में निवेश को प्रोत्साहन मिलता है तथा रोजगार सृजन होता है
कंसोर्टियम आफ इंडियन एसोसिएशन (सीआईए) के संयोजक के ई रघुनाथन ने कहा, ”कोविड-19 महामारी की वजह से नियोक्ता और कर्मचारी दोनों की परेशानी बढ़ी है। सरकार के आंकड़े कहते हैं कि अप्रैल से अगस्त के दौरान 2.1 करोड़ लोगों का रोजगार छिन गया है, लेकिन उन नियोक्ताओं के आंकड़े नहीं आए हैं, जिनका उपक्रम समाप्त हो गया है। ”हमारे अनुमान के अनुसार 6.5 करोड़ में से करीब 30 प्रतिशत नियोक्ताओं का उपक्रम समाप्त हो गया है। इन परिस्थितियों में इन नई श्रम संहिताओं से नए उपक्रम निवेशक अनुकूल होंगे। कारोबार सु्गमता की स्थिति बेहतर हो सकेगी तथा चीन से बाहर निकलने वाली इकाइयों को यहां आकर्षित किया जा सकेगा।
नए श्रम कानून से देश के संगठित व असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को कई प्रकार की नई सुविधाएं मिलेंगी, जैसे इसमें श्रमिकों को नियुक्ति पत्र देना, वेतन का डिजिटल भुगतान, हर साल सभी श्रमिकों का हेल्थ चेकअप अनिवार्य किया गया है। उद्यमियों के लिए भी इसमें कई प्रावधान लाए गए हैं ताकि उन्हें कारोबार करने में आसानी हो। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने दावा किया है कि 73 साल के इतिहास में पहली बार इस प्रकार से श्रम कानून में बदलाव किए गए हैं, जो नियोक्ता और श्रमिक दोनों के लिए फायदेमंद साबित होंगे। आइए जानें नया कानून किस तरह से बदेगा श्रमिकों औ उद्यमियों की किस्मत…
सरकार से मंजूरी लिए बिना ही कर्मचारियों की छंटनी
इंडस्ट्रियल रिलेशन बिल- 2020 पारित हो चुका है। अब जिन कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या 300 से कम है, वे सरकार से मंजूरी लिए बिना ही कर्मचारियों की छंटनी कर सकेंगी। अब तक ये प्रावधान सिर्फ उन्हीं कंपनियों के लिए था, जिसमें 100 से कम कर्मचारी हों। छंटनी या शटडाउन की मंजूरी उन्हीं संस्थानों को दी जाएगी, जिनके कर्मचारियों की संख्या पिछले 12 महीने में हर रोज औसतन 300 से कम ही रही हो। सरकार अधिसूचना जारी कर इस न्यूनतम संख्या को बढ़ा भी सकती है।वहीं बिल के मुताबिक किसी भी संगठन में काम करने वाला कोई भी कामगार बिना 60 दिन पहले नोटिस दिए हड़ताल पर नहीं जा सकता। फिलहाल ये अवधि छह हफ्ते की है.
अधिकतर लोगों को कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर नौकरी
आॅक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल- 2020 कंपनियों को छूट देगा कि वे अधिकतर लोगों को कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर नौकरी दे सकें। कॉन्ट्रैक्ट को कई बार बढ़ाया जा सकेगा। इसके लिए कोई सीमा तय नहीं की गई है। किसी भी मौजूदा कर्मचारी को कॉन्ट्रैक्ट वर्कर में तब्दील करने पर रोक का प्रावधान भी अब हटा दिया गया है। महिलाओं के लिए वर्किंग आॅवर (काम के घंटे) सुबह 6 बजे से लेकर शाम 7 बजे के बीच ही रहेगा। शाम 7 बजे के बाद अगर काम कराया जा रहा है, तो सुरक्षा की जिम्मेदारी कंपनी की होगी। कोई भी कर्मचारी एक हफ्ते में छह दिन से ज्यादा काम नहीं कर सकता। ओवरटाइम कराने पर उस दिन का दोगुना पैसा। बिना अपॉइंटमेंट लेटर के किसी की भर्ती नहीं हो सकेगी।
अब एक साल में मिल सकेगी ग्रैच्युटी
सोशल सिक्योरिटी बिल- 2020 के नए प्रावधानों में बताया गया है कि जिन लोगों को फिक्सड टर्म बेसिस पर नौकरी मिलेगी, उन्हें उतने दिन के आधार पर ग्रेच्युटी पाने का भी हक होगा यानी अब पांच साल पूरे की जरूरत नहीं है। इसका मतलब ये हुआ कि कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर काम करने वालों को उनके वेतन के साथ-साथ अब ग्रेच्युटी का फायदा भी मिलेगा चाहे कॉन्ट्रैक्ट कितने दिन का भी हो।
बता दें एक ही कंपनी में लंबे समय तक काम करने वाले कर्मचारियों को सैलरी, पेंशन और प्रोविडेंट फंड के अलावा ग्रेच्युटी भी दी जाती है। ग्रेच्युटी किसी कर्मचारी को कंपनी की ओर से मिलने वाला रिवार्ड होता है। अगर कर्मचारी नौकरी की कुछ शर्तों को पूरा करता है तो ग्रेच्युटी का भुगतान एक निर्धारित फॉमूर्ले के तहत गारंटीड तौर पर उसे दिया जाएगा। मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक अगर कोई शख्स एक कंपनी में कम से कम 5 साल तक काम करता है तो वह ग्रेच्युटी का हकदार होता है।