अब बंदियों की स्वीकारोक्ति दिलाएगी जेल से मुक्ति
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की योेजना देश के लिए रोल माडल बनने जा रही है। प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष देशभर की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों को कम करने के लिए कार्य योजना पेश की थी। इसमें सुझाव दिया था कि, छोटे अपराध के बाद सुनवाई का इंतजार कर रहे बंदी द्वारा अपराध स्वीकार कर लेने पर जेल में बिताए समय की सजा में बदलकर रिहाई दे दी जाएगी। इसके लिए प्रत्येक शनिवार को जेल में अदालत लगाई जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस कार्य योजना को मंजूरी दे दी है साथ ही देश भर के हाईकोर्ट को इसे अमल में लाने का निर्देश दिया है। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने योजना को विस्तार देते हुए बताया है कि, प्रत्येक शनिवार को जेल में अदालत लगायी जाए। इसमें उन मामलों की सुनवाई कर निपटारा किया जाए, जिसमें आरोपित अपराध स्वीकार कर प्रकरण निराकृत करना चाहते है। ऐसे छोटे अपराध जिन्हें मामूली सजा या जमानत दी जा सकती है, उनका तुरंत निराकरण कर दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने अधिसूचना जारी कर दी है। अक्टूबर के पहले सप्ताह से छ0ग0 की जेलों में प्रत्येक शनिवार को अदालत लगाई जाएगी। प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्टेट स्तर के न्यायिक अधिकारी की अदालत लगेगी। अपराध स्वीकार करने पर जेल में काटी गयी अवधि की सजा के रूप में गिनती करते हुए रिहाई आदेश जारी किया जाएगा इसमें मामूली धाराओं में जेल की सजा काट रहे बंदियों को राहत मिलेगी इससे जेल पर दबाव भी कम होगा ।
उक्त आदेश की तैयारी के संबंध में माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश / अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर संतोष शर्मा द्वारा आवश्यक तैयारियॉ प्रांरभ कर दी गयी है। उनके द्वारा जिले के समस्त न्यायिक अधिकारियों की बैठक लिया जाकर उन्हें अधिक से अधिक प्रकरणों के निराकरण के निर्देश प्रदान किए जा चुके है। धारा 107/116, 151 द.प्र.सं. के मामलों को चिन्हांकित करने हेतु भी प्रशासनिक अमले को दिशा-निर्देश प्रदान किए गए है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर द्वारा बंदियों के आवेदन तैयार करने एवं न्यायालय तक प्रस्तुत करने हेतु पेनल तैयार किया गया है जो केन्द्रीय जेल रायपुर तथा उपजेल गरियाबंद में जेलों में आवेदन तैयार कराकर संबंधित न्यायालय में पेश करेंगे।