बिलासपुर. जिले के रतनपुर में भगवान शंकर के स्वयंभू लिंगो में से एक रतनपुर का वृद्धेश्वर नाथ महादेव का अति प्राचीन मंदिर है, जो अपनी प्रसिद्धि के साथ अनेक गूढ़ रहस्यों को समेटे हुए है. इस वृद्धेश्वर महादेव को बोलचाल की भाषा में बूढ़ा महादेव भी कहा जाता है. यह मंदिर सुरम्य वादियों के बीच राम टेकरी की तराई पर स्थापित है. जहां पर सावन में प्रतिदिन सुबह से ही भक्तों की कतार लगी रहती है. इस मंदिर की अनोखी मान्यता है.
बता दें कि, इस मंदिर के निर्माण के संबंध में कोई स्पष्ट प्रमाण अभी तक नहीं मिल पाया है. एक किवदंती के अनुसार, इस मंदिर को द्वापर युग में राजा वृद्धसेन ने बनवाया था, जिसने अपने नाम के अनुरूप उसका नाम वृद्धेश्वर नाथ महादेव रख दिया. जिसका अपभ्रंश बूढ़ा महादेव के नाम से भी जाना जाता है.
यहां महादेव जटा रूप में विराजमान है, जिसमें हमेशा जल भरा रहता है. इसकी खासियत यह है कि, इसमें कितना भी जल अभिषेक किया जाए वो पूरा का पूरा जल इसमें समाहित हो जाता है. यहां सावन के महीने के कांवरिये जल लेकर पहुंचते हैं. वहीं सुबह से देर रात तक दर्शन पूजन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है.