नई दिल्ली। कांग्रेस की राजनीति में अलग ही नजारा देखा जा रहा है। एक ओर जहां पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारने का फैसला कर लिया है। वहीं, गांधी परिवार के वफादार माने जाने वाले अशोक गहलोत सोनिया से मिलने तक की बांट जोह रहे हैं। पार्टी आलाकमान ने उन्हें अब तक मिलने का वक्त नहीं दिया है। कांग्रेस के इस रुख से उनकी भविष्य की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत बुधवार को ही दिल्ली के लिए रवाना हो गए थे। दो दिन से अटकलें हैं कि वह सोनिया से मुलाकात करने वाले हैं, लेकिन अब तक मीटिंग अंजाम तक नहीं पहुंच सकी है। वह लगातार आलाकमान की तरफ से मीटिंग के लिए समय का इंतजार कर रहे हैं। खबरें हैं कि रविवार को जयपुर में गहलोत समर्थक विधायकों की बगावत से गांधी परिवार खासा नाराज हो गया था।
गहलोत पर दबाव की राजनीति!
कांग्रेस नेताओं का एक वर्ग मान रहा है कि सिंह को मैदान में उतारना गहलोत को लेकर दबाव की राजनीति का हिस्सा हो सकता है। इसके जरिए पार्टी यह संदेश देना चाहेगी कि वह सचिन पायलट के साथ अपनी जंग छोड़कर पार्टी प्रमुख के लिए तैयारी करें। सूत्रों ने यह भी बताया था कि राजस्थान में सियासी संकट के चलते ही सिंह अध्यक्ष पद की रेस में दोबारा शामिल हुए हैं।