रायपुर। एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद डाक्टरों को राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र में दो साल नौकरी जरूरी कर दी है। दो साल की संविदा अवधि में डाक्टरों को 45 और 55 हजार प्रतिमाह मानदेय भुगतान कर रही है। 2012 में जारी हुए इस निर्देश के बाद राज्य सरकार ने 95 डाक्टरों को ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ किया है। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी पोस्टिंग आर्डर में डाक्टरों को 2 सालों तक इन अस्पतालों में पदस्थ रहना जरूरी होगा। इस दौरान सभी चिकित्सकों को नियमानुसार सुविधाएं भी जायेगी।
आपको बता दें कि साल 2012 में राज्य सरकार ने नियम बनाया था कि MBBS के छात्रों को पढ़ाई पूरी करने के बाद अगले दो साल तक ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देना अनिवार्य है. इसके लिए बकायदा MBBS के सामान्य वर्ग के छात्रों से पांच लाख और आरक्षित वर्ग के छात्रों के लिए तीन लाख रूपये का बॉन्ड भरना जरुरी है. इस नियम का उल्लंघन करने पर सरकार ने पांच लाख तक के जुर्माने का प्रावधान किया है. यही नहीं सरकार चाहे तो ऐसे MBBS छात्रों की डिग्री पर रोक भी लगा सकती है.
राज्य सरकार के इस नियम को प्रतिभा सिन्हा सहित MBBS के अन्य छात्रों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. मामले की सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस प्रशांत मिश्रा की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार के नियम को सही ठहराते हुए MBBS विद्यार्थियों की याचिका ख़ारिज करते हुए राज्य सरकार के फैसले को जायज करार दिया था। अगस्त 2018 में कोर्ट के फैसले के बाद नियम प्रदेश में लागू कर दिया गया। आपको बता दें कि प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों से हर साल सैकड़ों डॉक्टर डिग्री लेकर निकलते हैं, लेकिन इक्का-दुक्का ही ग्रामीण इलाकों में अपनी सेवाएं देने के लिए राजी होते हैं. ज्यादातर शहरों में अपने निजी क्लिनिक खोलकर प्रैक्टिस में जुट जाते हैं.