उन्होंने बताया कि रायपुर में 4 शालाओं का समायोजन हो रहा है। इसमें 1 अभनपुर और 3 रायपुर नगर के स्कूल शामिल हैं। ग्रामीण क्षेत्र में जहां वह स्कूल जिनके अगल-बगल एक किलोमीटर की परिधि में दूसरा स्कूल था और बच्चों की संख्या 10 से कम थी। वहीं, नगरीय क्षेत्र में 500 मीटर के भीतर दूसरा स्कूल था और बच्चों की संख्या 30 से कम थी, ऐसे चार विद्यालयों का यहां समायोजन दूसरे विद्यालय में किया गया है।
रायपुर जिले में 1013 अतिशेष शिक्षक
सभी अतिशेष शिक्षकों की रिक्त पदों के अनुसार काउंसलिंग की गई और उन्हें नई पदस्थापना प्रदान की गई। कलेक्टर ने बताया कि नगरीय इलाकों में छात्रों की तुलना अधिक शिक्षक पदस्थ हैं, जबकि ग्रामीण और दूरस्थ अंचलों की शालाओं में स्थिति इसके विपरीत है। वहां शिक्षकों की कमी है, जिसके चलते शैक्षिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैैं। इस स्थिति को सुधारने के उद्देश्य ही राज्य सरकार ने युक्तियुक्तकरण का कदम उठाया है। इससे जिन शालाओं में शिक्षक की जरूरत है, वहां शिक्षक उपलब्ध होंगे।
4 स्कूलों का समायोजन
बाकी 385 विद्यालयों को एक ही परिसर में जो प्राइमरी स्कूल या मिडिल स्कूल थे उनको क्लस्टर विद्यालय के रूप में विकसित किया गया है। 1422 अलग-अलग स्कूल थे। इस प्रक्रिया के बाद अब 1033 स्कूलों के रूप में पूरे स्कूलों की व्यवस्था रहेगी।
युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया से ग्रामीण क्षेत्रों में गणित, रसायन, भौतिकी और जीव विज्ञान जैसे विषयों के विषय-विशेषज्ञ उपलब्ध होंगे। बच्चों को अच्छी शिक्षा, बेहतर शैक्षणिक वातावरण और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। छात्र-शिक्षक अनुपात स्कूलों में संतुलित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के दिशा-निर्देशों के अनुरूप शिक्षकों और शालाओं का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है।