वोट करने की बारी का इंतजार करते दिखाई दिए लोग
गांव से सामने आई तस्वीरों में पुरुष और महिलाएं दोनों ने ही कड़ी सुरक्षा के बीच शांतिपूर्ण तरीके से अपने हिस्से का वोट डालने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते लाइन में दिखाई दिए. नक्सली घटनाओं से प्रभावित इस गांव के लोगों ने इसके पहले कभी किसी भी चुनाव में वोट नहीं किया था.
एक वोटर ने कहा कि मैंने पहली बार वोट किया है. हमने पहले कभी किसी चुनाव में एक मतदाता के तौर पर भाग नहीं लिया. गांव के ही रहने वाले एक दूसरे शख्स ने बताया कि केरलापेंडा गांव के लोगों ने भी पहली बार नेताओं के सामने चिंता जाहिर की और जिम्मेदार नागरिक की तरह पास के गांव के लोग भी वोट डालने के लिए पहुंचें, इसको लेकर बातचीत भी की.
हमारा गांव विकास की ओर आगे बढ़ेगा
गांव के एक और वोटर ने कहा कि आज मैं बहुत खुश हूं कि हम देश के लोकतंत्र के एक फैसले में अपनी भूमिका निभा रहे हैं. हमारा गांव भी विकास की ओर आगे बढ़ेगा. हमें अपने नेताओं से बात करने और अपनी मांगों को रखने का यह पहली बार मौका मिला.
गांव के लोगों ने अपने नेता से रोजगार के मौके देने पर बातचीत की. इसके पहले 20 फरवरी को दूसरे चरण के चुनाव के समय उग्रवाद की घटनाओं में बड़ा इतिहास रखने वाले बीजापुर जिले के लोगों ने भी वोटिंग में भाग लिया. वोट देने के लिए लोग घने जंगलों और नदियों सहित बहुत से मुश्किल रास्तों से होकर, 70 किलोमीटर की दूरी का सफर तय करके भोपालपटनम गांव के वोटिंग सेंटर्स पर वोट देने के लिए पहुंचे.
ये गांव बीजापुर जिले के राष्ट्रीय उद्यान के क्षेत्र में आने वाले गांवों के लोग थे, जो नक्सलियों के पनाह लेने के लिए सुरक्षित जगह मानी जाती है. करीब पांच गांवों के लोगों ने अपने-अपने क्षेत्रों में नक्सलियों के आतंक का सामना किया था. ये सभी चुनाव में वोट डालने के लिए एक साथ आए.