DGP से खास बातचीत: IPS अरुण देव गौतम ने किया पदभार ग्रहण, जानिए छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त करने सहित कानून व्यवस्था को लेकर क्या कहा ?

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने भारतीय पुलिस सेवा के 1992 बैच के सीनियर आईपीएस अफसर अरुण देव गौतम को राज्य की नए डीजीपी की जिम्मेदारी सौंपी है. डीजीपी अरुण गौतम ने कहा कि परित्राणाय साधूनाम की तर्ज पर कार्य किया जाएगा. राज्य के 2026 नक्सल मुक्त छत्तीसगढ़ के लक्ष्य को पूरा किया जाएगा. पुलिस अधिकारी कर्मचारियों का मनोबल बढ़े, ऐसे विषयों पर कार्य करेंगे.

जानिए डीजीपी अरुण गौतम ने खास बातचीत में क्या कहा

सवाल– नए डीजीपी की नियुक्ति के बाद क्या कुछ प्राथमिकताएं रहने वाली हैं?

जवाब– पुलिस विभाग में प्राथमिकताएं स्पष्ट रहती हैं. हमारे कानून में हर एक चीज़ की प्राथमिकता तय है. हमारी सबसे प्रतीकात्मक प्राथमिकता होती है, जो हमारे कंधे पर है, परित्राणाय साधुनाम, मूल मकसद यही है. बाकी सारी व्यवस्थाएं उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हैं.

सवाल– 2026 तक नक्सल मुक्त छत्तीसगढ़ का लक्ष्य है, किस रणनीति के साथ आगे बढ़ने वाले हैं?

जवाब– केंद्र और राज्य सरकार के सम्मिलित प्रयासों से हम बहुत आगे बढ़ चुके हैं. विकास और सुरक्षा दोनों ही स्थितियों में हम बहुत आगे बढ़ चुके हैं. नक्सलवाद की ज़मीन अब बची नहीं है. बस्तर के आदिवासी समझ चुके हैं. पूरे प्रदेश से नक्सलवाद समाप्त होने वाला है. हथियार से लड़ने वालों को हथियार से ही जवाब दे रहे हैं. सरकार की विचारधारा से जुड़ने वालों को मुख्य धारा पर लाया जा रहा है.

सवाल– छत्तीसगढ़ में पिछले कई साल से कानून व्यवस्था एक बड़ा मुद्दा बनता नजर आ रहा है, इस पर कैसे काम करेंगे?

जवाब– कानून व्यवस्था एक बुनियादी स्थिति है. जिसे बने रहना चाहिए. उसका भंग होना एक तरह का व्यवधान है. इसीलिए पुलिस का प्रयास हमेशा कानून व्यवस्था को बनाए रखने का होता है. दूसरी बात, कानून व्यवस्था बनाए रखना सिर्फ पुलिस की जिम्मेदारी नहीं है. इसकी जिम्मेदारी हर एक नागरिक की है. सभी को सुविधाजनक तरीके से अच्छे वातावरण में रहना चाहिए.

सवाल– छत्तीसगढ़ समेत देशभर में साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, इसे लेकर किस तरीके से काम करेंगे, लोगों को जागरूक करेंगे?

जवाब– साइबर अपराध बड़ा मुद्दा है. इसके लिए सभी नागरिकों को सतर्क रहना होगा. साइबर क्राइम से बचने के लिए प्रिवेंशन ही उसका सबसे अच्छा तरीका है. साइबर क्राइम होने के बाद उसे डिटेक्ट करना, ठगी के पैसे को रिकवर करना, ये थोड़ा कठिन प्रक्रिया है. इसीलिए सबसे ज्यादा फायदेमंद यही होगा कि साइबर ठगों के जाल में फंसने से पहले ही लोग सतर्क हो जाएं, और अपराध होने के बाद पुलिस उस पैसे के प्रोसेस को जल्द से जल्द रोक पाए. इसके लिए बहुत से हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं. हम लगातार जागरूकता अभियान के माध्यम से लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं.

सवाल– छत्तीसगढ़ में पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों का मनोबल बढ़े, पुलिस और जनता के बीच समन्वय बने, इसे लेकर आने वाले दिनों में कैसे काम करेंगे?

जवाब– यह बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा है. पुलिस बल मनोबल की स्थिति में ही कार्य कर पाता है. पुलिस एकमात्र बेबाक है, जो अपने जीवन को न्योछावर कर कर्तव्यपथ पर लगा देता है. यह बिना मनोबल के संभव नहीं है. इसे पैसे से नहीं खरीदा जा सकता है. हम वर्दी पहनते हैं और उसके प्रति बहुत आदर्श रखते हैं. जहां तक समाज की भागीदारी की बात है, तो उसके बिना पुलिस भी काम नहीं कर सकती है. समाज की हिस्सेदारी पूरे न्याय व्यवस्था पर महत्वपूर्ण है.