रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर बस्तर जिला प्रशासन ने सक्रियता दिखाते हुए सालेम चेन्नई तमिलनाडू राज्य के ईंट-भट्टी एवं पोल्ट्री फार्म में काम कर रहे बस्तर संभाग के 24 बालक-बालिकाओं सहित तीन महिलाओं को रेस्क्यू कर जगदलपुर लाया गया है। उक्त श्रमिकों को उनके द्वारा ईंट-भट्टी एवं पोल्ट्री फार्म में किए गए मजदूरी की राशि एक लाख 37 हजार 577 रूपए को वहां के प्रबंधक से वसूल कर दिलाया गया है।
जानकारी मिलने के उपरांत बस्तर कलेक्टर द्वारा गठित जिला बाल संरक्षण इकाई को बस से तमिलनाडू रवाना किया गया। गठित दल के कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि बस्तर संभाग के 24 बालक-बालिकाओं सहित 03 महिलाओं को जिला बाल संरक्षण ईकाई रोयापुरम तथा सालेम चेन्नई तमिलनाडू राज्य के द्वारा रेस्क्यु कर बाल गृह रोयापुरम तथा सालेम में रखा गया था। पता चलने के उपरांत गठित टीम द्वारा उन्हें जगदलपुर लाया गया। बाल कल्याण समिति जगदलपुर के आदेश उपरांत उक्त बालक-बालिकाओं को पुर्नवासित करने हेतु उनके निवास स्थान के संबंधित जिला बाल संरक्षण इकाई को सुपूर्द किया गया, साथ ही बालक-बालिकाओं एवं महिलाओं द्वारा किए कार्य की मजदूरी ईंट-भट्टी एवं पोल्ट्री फार्म के प्रबंधक से वसूल कर मजदूरी की राशि दिलाई गई। गठित दल के तमिलनाडू से वापसी के दौरान छत्तीसगढ़ से जाने वाली बस को कोण्टा-सुकमा के पास रोककर सुकमा पुलिस अधीक्षक के द्वारा बालकों को ले जाने वाले व्यक्ति के विरूद्ध कार्यवाही करने के लिए सुकमा जिले के श्रम विभाग को अवगत कराया गया। इसके साथ ही दल को अपने अभिरक्षा में लेते हुए जिला सुकमा के बाल कल्याण समिति में प्रस्तुत किया गया।
सुपुर्द किये गये बालक, बालिकाओं एवं महिलाओं में जिला नारायणपुर के 02 बालक, 09 बालिका एवं एक महिला, कोण्डागांव के 05 बालिका एवं 02 महिला, जिला कांकेर के 04 बालक एवं एक बालिका को संबंधित जिले के बाल संरक्षण ईकाई को सौंपी गई। जशपुुर एवं रायपुर के एक-एक बालकों को दोनों जिला के बाल संरक्षण ईकाई के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित नहीं होने के कारण जगदलपुर के बालगृह में रखा गया है। जिन्हें संबंधित जिले के अधिकारी-कर्मचारी के उपस्थिति में सुपुर्द किये जाने का आदेशित किया गया है। इसके अलावा बस्तर जिले के एक बालक को उनके माता-पिता को सुपुर्द किया गया है।