जंगल उजाड़कर अपना आशियाना बनाने वाले अतिक्रमणकारियों को वनविभाग ने खदेड़ा, समझाने पर भी नहीं मानने वाले अतिक्रमणकारियों को भेजा गया जेल

Chhattisgarh Crimes

इंदागांव परिक्षेत्र कक्ष क्रमांक 1221 का कांड़सर बीट का मामला

पूरन मेश्राम/ छत्तीसगढ़ क्राइम्स

मैनपुर। जंगलों में अवैध रूप से वन अतिक्रमणकारियों के द्वारा जंगल के बडे़ बडे़ कामिन लकडि़यो को काटकर वहाँ पर झोपड़ी बनाते हुए स्थायी रुप से वन भूमि पर कब्जा कर लिया गया। वर्तमान में पूरा जंगल रेगिस्तान में बदल गया है तब गांव समाज एवं जिम्मेदार विभागों के द्वारा जंगल बचाने की मुहिम चलाई जा रही है।

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ऐसा ही मामला हम बताने जा रहे हैं जहां पर आदिम जनजाति कमार परिवार के 5 मुखियाओ के द्वारा साल भर से उदंती सीतनदी टाइगर रिजर्व बफर जोन इंदागांव परिक्षेत्र क्रमांक 1221 कांडसर बीट में झोपड़ी बनाकर जंगल को उजाड़ते हुए बसने की तैयारी किया जा रहा था जिसे वन विभाग इंदागांव परिक्षेत्र के द्वारा तीन बार समझाइश देकर वहां से हटाया गया फिर पुनः 15-20 दिन पहले उसी स्थान पर झोपड़ी बनाकर पूरे परिवार सहित रह रहे थे। बाकी सदस्य हाल ही मे कामिन बड़े-बड़े लकड़ियों को कटाई कर नया झोपड़ी बनाने की तैयारी कर रहे थे।फिलहाल 5 झोपडी़ है।

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एक बार फिर वहां से हटने के समझाइश एवं राजीनामा के लिए वन विभाग ने अतिक्रमणकारी मुखिया से बातचीत का दौर चलाया गया लेकिन नहीं मानने पर वन विभाग 5 परिवार के लगभग 15 से 20 सदस्यों को वहां से हटाते हुए वन विभाग के द्वारा विभागीय कार्यवाही किया जा रहा है। गांव के जानकारों ने बताया कि इंदागांव परिक्षेत्र के पूरे जंगलों में वन अतिक्रमणकारियों के द्वारा 2005 के बाद से अतिक्रमण करते हुए पूरे जंगलों में अवैध कब्जा कर खेती किसानी कर रहे हैं। जिन पर बेदखली का कार्यवाही अभी तक नहीं हो पाई है। कक्ष क्रमांक 1220 आधा जंगल पर कब्जा 1229 थोड़ा बहुत जंगल बचा है। 1217 पूरा जंगल समाप्त हो गया है।1218 का जंगल भी समाप्त हो गया है। 1219 मे 50 प्रतिशत जंगल बचा है। अगर शुरुआती दौर में वन अतिक्रमणकारियों पर बेदखली का कार्यवाही वन विभाग के द्वारा किया जाता तो आज जंगल रेगिस्तान में नहीं बदला होता ऐसा देखने पर पता चलता है।

झोपड़ी बनाकर रहने वाले वन अतिक्रमण कारी इंदागांव ग्राम पंचायत के आश्रित गांव अमली और सरपंच के परिवार के लोग होना बताया जा रहा है।

ज्ञात हो कि ग्राम पंचायत इंदा गांव के आश्रित ग्राम अमली जहां पर विशेषकर आदिम जनजाति कमार परिवार निवास करते हैं वहां के मकान संख्या लगभग 50 एवं जनसंख्या 250 के आसपास होगी। इंदागांव से लगभग 13 किलोमीटर के दूरी पर बसा अमली गांव तक पहुंचने के लिए वहां के निवासियों को भयंकर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जंगलों से घिरा हुआ नदी नालों पगडंडियों के सहारे वहां तक लोग बड़ी मुश्किलों से पहुँचते हैं। बरसात के दिनों में तो भगवान ही भरोसा है।

इंदागांव के सरपंच राजमन नेताम भी उसी गांव से आते हैं लेकिन आने-जाने के परेशानियो को देखते हुए इंदागांव में ही आकर वैकल्पिक रूप से बस गए हैं। वही सरपंच राजमन नेताम ने बताया कि पहुंच विहीन गाँव अमली के समस्त परिवारों को स्थायी तौर से अन्यत्र पुनःव्यवस्थापन किए जाने की मांग शासन प्रशासन से करते आ रहे हैं।लेकिन अभी तक इस दिशा में पहल नहीं हो पाई है।
बरसात के दिनों में वहां के ग्रामीणों को राशन सामग्री, तबीयत खराब होने पर इलाज के लिए लाने पर भयंकर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

वन अतिक्रमण कारी जो झोपड़ी बनाकर जंगल में रह रहे थे जिन पर वन विभाग कार्यवाही कर रहे हैं उसमें से मुखिया लक्ष्मण नेताम पिता आसमान, तिलक राम पिता लक्ष्मण,गयाराम पिता लक्ष्मण लक्ष्मण सोरी पिता महंगू राम लालधर पिता दशमन सभी आदिम जनजाति कमार समुदाय से थे। जिन्हें कोर्ट प्रकरण की कार्यवाही वन विभाग द्वारा प्रस्तुत किया गया।

इस संबंध में वन परिक्षेत्र अधिकारी इंदागांव चंद्रबली ध्रुव को विस्तृत जानकारी के लिए फोन लगाया गया लेकिन फोन रिसीव नहीं किए। डिप्टी रेंजर हेमसिंह ठाकुर का कहना था कि अतिक्रमणकारियों को उस स्थान को छोड़ने की समझाइश दिया गया लेकिन मानने को तैयार नहीं हुए इसलिए कोर्ट प्रकरण तैयार किया गया। वहीं सरपंच ग्राम पंचायत इंदागांव राजमन नेताम का कहना है कि मेरे ऊपर आरोप लगाया जा रहा है कि इन लोगों को मैं जंगल में बसाया हूं यह सर्वथा गलत है मैं जिम्मेदार होने के नाते ऐसा क्यों करूंगा विभागीय कार्यवाही जो बनती है वैसा वन विभाग को किया जाना चाहिए।