प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का अब तक नहीं मील सका है लाभ
किशन सिन्हा/ छत्तीसगढ़ क्राइम्स
छुरा। स्वास्थ्य लोकतंत्र के विषय में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने कहा था कि “लोकतंत्र जनता की, जनता द्वारा और जनता के लिए सरकार है। मगर आम जनता के बीच इस प्रकार के स्लोगनों का औचित्य लोकतंत्र के सबसे बड़े गणराज्य भारत के ग्रामीण क्षेत्र के लिए औचित्य पूर्ण नजर नहीं आता है यहां के ऐसे तपके के लोग जो शासन की द्वारा संचालित होने वाले तमाम लोक कल्याणकारी योजनाओं के असल हकदार हैं वे इन योजनाओं से कोसों दूर नजर आते हैं और वह व्यक्ति जो अपने आप में कह सकते हैं कि सक्षम है।
सुदृढ़ है वे सरकारी सुविधाओं का लाभ सर्वप्रथम उठाते हुए नजर आते हैं इन प्रकार के तथ्यों को प्रशासनिक चुक कहें या कहे आम जनता की उदासीनता मगर जो भी हो गरीब जनता को उनका असल लाभ तो धरातली स्तर पर देखने को नहीं मिलता ठीक ऐसा ही एक मामला छुरा विकास खण्ड के ग्राम पंचायत टेंगनाबासा के आश्रित ग्राम रावणाभाठा की एक गरीब परिवार के सदस्यों की देखने को इन दोनों मिल रहा है, जहां मौसम के मर को वे चौतरफा तरीका से सहते हुए लगभग 10 /10 के एक छोटे से झोपड़पट्टी में छह लोगों के पूरे परिवार के साथ बड़े ही तंग हालत में अपने जीवन का निर्वहन कर रहे हैं। जहां उनके लिए शासन के द्वारा नहीं पानी की व्यवस्था है और ना कोई अन्य व्यवस्था हमें निवास स्थल पर देखने नजर आया। ऐसे में गरीब परिवार की 74 वर्षीय बुजुर्ग शकवारी बाई साहू ने केन्द्रीय शासन की ओर से चल रहे प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत अपने पक्के आवास के लिए कई बार प्रयास कर थक जाने के पश्चात मीडिया से सम्पर्क किया गया “कि उन्हें उनका असल हक प्रदान किया जाए इस पर ग्राम पंचायत टेंगनाबासा के प्रथम नागरिक सरपंच राजकुमारी ध्रुव से सम्पर्क करने पर उनके द्वारा यह जानकारी प्रदान किया गया कि “शुकवारी बाई का आवास निर्माण का सपना बहुत ही करीब आ चुका है उनका नाम प्रतिक्षा सूची में अंकित है उन्हें जल्द ही उनका पक्का मकान प्राप्त होगा।”
मगर बुजुर्ग व उनकी परिवार के अनुसार इस प्रकार का आश्वासन वे न जाने कितने सालों से ही सुनता आ रहा है समस्या जेव कि तेव बना हुआ है। अब देखना यह होगा की अगली सूची में इनका नाम आता है या नहीं?