गरियाबंद/छुरा। कहते हैं प्रतिभा किसी परिचय की मोहताज नहीं होती है,उन्हें किसी सहारे की जरूरत नहीं होती है,किसी माध्यम की भी नहीं वह अपनी राह खुद बना लेता है और परिस्थितियां भी उसके अनुकूल हो जाती हैं। सच्ची लगन से मेहनत की जाए तो सफलता जरुर मिलती है। जी हम बात कर रहे है एक माध्यम परिवार की बेटी रुचि शर्मा की जो एक छोटे से गांव सुकुलकुरी (तहसील मस्तूरी जिला बिलासपुर छ. ग.) ने यह साबित कर दिया है। रुचि शर्मा महज 22 वर्ष की उम्र में ही डिप्टी कलेक्टर बन गई और अपनी ऊंची उड़ान भरने का प्रयास करने वाली रुचि शर्मा पहले रायगढ़, मुंगेली और अब गरियाबंद जिला के विकास खण्ड छुरा में मुख्य कार्यपालन अधिकारी की कुर्सी पर बैठकर प्रशासनिक सेवा में कर्तव्य निभा रही हैं।
ज्ञात हो कि मां श्रीमती वीना देवी शर्मा की एकलौती लाड़ली बेटी और पिता वीरेंद्र शर्मा के जीवन को आनंदमय बनाने वाली बेटी रूचि शर्मा का जब जन्म हुआ होगा तो शायद ही उन्होंने सोचा होगा कि भविष्य में उनकी बेटी शिक्षा के क्षेत्र में ऐसी ज्योत जलायेगी कि उसकी किरण प्रेरणापूंज बनकर पूरे शर्मा परिवार ही नहीं समाज में भी शिक्षा का उजाला ऐसा फैलायेगी कि उसकी रोशनी की चर्चा दूर दूर लोग करेंगे तो पहले जन्म देने वाले माता-पिता को बधाई देंगे जिससे उन्हें बेटी को जन्म देने पर गर्व का अनुभव जरूर होगा,अपने माता-पिता का नाम गौरवांवित करने के लिये कलेक्टर बनने का लक्ष्य लेकर रुचि शर्मा ने प्रतिदिन 6.30 साढ़े छह घंटे पूरी लगन मेहतन के साथ अपनी शैक्षणिक पढ़ाई के दौरान ध्यान केंद्रित कर प्रयास किया उसका प्रतिफल आज दिखाई दे रहा है,जिन्होंने यह साबित कर दिया है कि सपना देखने में नहीं वरन लक्ष्य बनाकर प्रयास करने से सफलता जरूर मिलती है ।
सुश्री रुचि शर्मा का शैक्षणिक सफर
हम आपको बता दे कि रुचि शर्मा की मां श्रीमती वीना देवी शर्मा जो कि गृहणी के भूमिका निभा रही है। तो वहीं पिता श्री वीरेन्द्र शर्मा छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल मैं सेक्शन आॅफिसर के पद पर शासकीय सेवा में अपना कर्तव्य निभा रहे है उनकी बेटी रुचि शर्मा का प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर तिलक नगर बिलासपुर से की, 2009 में किया है,कक्षा 10वी में 90%एवं कक्षा12वीं 91%प्राप्त कर टॉपर रही, उसके बाद भिलाई के शंकराचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज में वर्ष2013में इलेक्ट्रॉनिक एवं टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग की फिर पीएससी की तैयारी शुरू कर दी अपनी पढ़ाई के दौरान रुचि शर्मा प्रारंभ से ही पढ़ाई की ओर ही ध्यान केंद्रित करते हुये शिक्षण कार्य किया नियमित अध्ययन के साथ पुनरावृत्ति में विशेष ध्यान देकर लेखन अभ्यास के माध्यम से किया साथ में लक्ष्य बनाकर पढ़ाई किया अपनी पढ़ाई के दौरान रुचि शर्मा ने कठिनाई को कभी तनाव के रूप में नहीं लिया वरन उसे चुनौती के रूप में अथक परीश्रम करते हुये दूर करने का प्रयास किया,पढ़ने के लिये समय सारणी बनाकर अध्ययन किया जिसमें उन्होंने प्रतिदिन प्राता: भोर होने के पहले ही 4 से 6 बजे तक पढ़ना उसके बाद फिर सुबह 8 बजे से 10 बजे तक पढ़ती थी वहीं रात्रि के समय में वह 8 से 10.30 बजे तक अध्ययन करती थी कुल मिलाकर वह प्रतिदिन साढ़े छह घंटे अध्ययन करती रही है।
सुश्री रुचि शर्मा ऐसे बनी डिप्टी कलेक्टर
बता दे कि कलेक्टर बनने का लक्ष्य लेकर प्रयास करने वाली रुचि शर्मा ने जब पहली बार 2014 में पीएससी की परीक्षा दिया तो वह 214वां रेंक हासिल किया लेकिन उन्हें पद (पोस्ट) नहीं मिल पाई थी इसके बाद भी रुचि शर्मा ने हार नही मानी आगे पढ़ने व बढ़ने के लिये प्रयास करना नहीं छोड़ा निरंतर व सतत अध्ययन से दूसरी वर्ष 2015 में पीएससी की परीक्षा देकर रुचि शर्मा सफल हो गई और इस बार पीएससी की परीक्षा में मेरिट लिस्ट में तीसरा स्थान पाकर वह डिप्टी कलेक्टर बन गई है।