दो जिस्म एक जान सोहना-मोहना की अनूठी जोड़ी, घर वालों ने छोड़ा साथ…फिर भी नहीं मानी हार

Chhattisgarh Crimes

नई दिल्ली। अमृतसर के सोहना-मोहना दोनों जुड़वा भाइयों का शरीर धड़ से जुड़ा होने के कारण उनके माता-पिता ने भले ही छोड़ दिया। लेकिन इन दोनों ने हार नहीं मानी। एक दूसरे का सहारा बने ये भाई जिंदगी जीने के साथ ही आज सरकारी नौकरी भी कर रहे हैं।

​​​​​जुड़वा भाइयों को ऑपरेशन करके अलग करने में जान को काफी खतरा था, इसलिए डॉक्टरों ने इन्हें अलग नहीं किया और अमृतसर के पिंगलवाड़ा चैरिटेबल ट्रस्ट को सौंप दिया। दो महीने के सोहना-मोहना को ट्रस्ट में लाया गया था। इसके बाद यही ट्रस्ट इनका घर बन गया। 14 जून 2003 को नई दिल्ली के सुचेता कृपलानी अस्पताल में दोनों जुड़वां भाइयों का जन्म हुआ था।

10वीं तक पढ़ाई और आईटीआई की ट्रेनिंग के बाद पंजाब स्टेट पावर कार्पोरेशन में इनकी नौकरी लग गई है। इन्हें हर महीने 20,000 रुपये मिलेंगे। दरअसल, सोहना को काम मिला है और मोहना साथ में मदद करता है। दोनों भाई नौकरी का श्रेय भी ट्रस्ट को देते हैं।

पिंगलवाड़ा ट्रस्ट की मुखिया डॉक्टर इंदरजीत कौर बताती हैं, ‘बहुत सी संस्थाएं इन्हें लेना चाहती थीं। लेकिन अस्पताल ने हमें दे दिया। जब ये बड़े हुए तो किशोर हॉस्टल में चले गए। मानसिक रूप से बहुत समझदार थे। इसलिए आज अपने पैरों पर खड़े हैं।

सोहना-मोहना कहते हैं, ‘हम कोई अलग इंसान नहीं हैं, हम सब की तरह ही हैं। हमने सपने में नहीं सोचा था कि इतना अच्छा स्टाफ मिलेगा। सरकार से हम चाहते हैं कि बेरोजगारों की मदद करे।

वहीं पीएसपीसीएल के सीएमडी वेणु प्रसाद ने कहा, हमें पता चला कि दुर्लभ से दुर्लभ विकलांगता वाले व्यक्ति आईटीआई में डिप्लोमा कर रहे थे और इलेक्ट्रीशियन के रूप में अपना करियर बनाना चाहते थे। हमने उनसे संपर्क किया और उन्हें बहुत एक्टिव पाया। जुड़वा बच्चों को अच्छा तकनीकी ज्ञान है। इसलिए, हमने विकलांग कोटे के तहत उन्हें बिजली विभाग में भर्ती करने का फैसला किया।

बता दें कि इन दोनों भाईयों का जन्म 14 जून 2003 को नई दिल्ली के सुचेता कृपलानी अस्पताल में हुआ था। जन्म के बाद इन्हें इनके माता-पिता ने छोड़ दिया था। इसके बाद अमृतसर स्थित पिंगलवाड़ा ने इनकी परवरिश की ज़िम्मेदारी ली थी। बीबी इंद्रजीत कौर ने इन दोनों भाइयों का सोहना-मोहना नाम रका ।

Exit mobile version