बुरे शक्ति के बचाव के लिए ग्रामीण करते हैं सवनाही बरोने का निर्वहन

सावन लगने के बाद रविवार को अंचल में शुरू हुई यह परंपरा

Chhattisgarh Crimes

नरेंद्र ध्रुव/ छत्तीसगढ़ क्राइम्स

गरियाबंद ।मानव जीवन आज आधूनिक विज्ञान टैक्नोलॉजी कम्प्यूटर युग में जीने के साथ साथ पुरखों द्वारा संचित कई परंपराओं को संजोए हुए है जिसमें बरसात लगते ही अनेक तीज त्यौहार और मान्यताओं का निर्वहन छत्तीसगढ़ की संस्कृति में सन्निहित है।खासकर ग्रामीण अंचलों में इन दिनों सावनही बरोने का निर्वहन जारी है। जो श्रावण मास के प्रथम या द्वितीय रविवार को गांव में काम काज बंद रखकर घरों से धान के कोढें की पान रोटी और काशी की डोरी में परिवार के सदस्यों की संख्या अनुसार गांठ बांध कर दैव स्थल पर चढ़ाया जाता है।

तद्पश्चात ग्राम के वरिष्ठ बैगा पुजारी आदि द्वारा गांव से बाहर जंगल की ओर ले जाने और छोड़ आया जाता है जिसे सवनाही बरोने की संज्ञा दी गई है। मान्यता है कि इस प्रक्रिया को करने गांव घर में अनिष्ट होने से छुटकारा मिलती है वही मंत्र तंत्र का बुरा प्रभाव मानव जीवन पर नहीं होता । इस संदर्भ में घरों के दीवारों पर गोबर मानव आकृति चिन्ह उकेरा जाता है और पिली मिट्टी से घर के न्यूनतम हिस्से को पोता भी जाता है और सबके मंगल भविष्य की कामना किया जाता है। इसी के साथ साथ सावन माह भर रामचरितमानस रामायण का भी कार्यक्रम गांव-गांव में किया जाता है, तथा 5 से 7 रविवार तक इतवारी तयौहार मनाया जाता है।