मुंबई/सूरत । महाराष्ट्र के सियासी घमासान का मैदान अब गुजरात से असम शिफ्ट हो गया है। एकनाथ शिंदे समेत 40 बागी विधायक स्पेशल फ्लाइट से बुधवार सुबह सूरत से गुवाहाटी पहुंचे। भाजपा के नेताओं ने उन्हें रिसीव किया। एयरपोर्ट के बाहर तीन बसों से उन्हें होटल ले जाया गया। इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। यहां एयरपोर्ट पर एकनाथ शिंदे ने फिर दोहराया कि हम बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व को आगे ले जाएंगे।
हमने बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना को नहीं छोड़ा है और नहीं छोड़ेंगे। हम बालासाहेब के हिंदुत्व का अनुसरण कर रहे हैं और इसे आगे भी ले जाएंगे: गुजरात के सूरत हवाई अड्डे पर शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे pic.twitter.com/DAQ03tr3Hr
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 21, 2022
इससे पहले उन्होंने सूरत एयरपोर्ट पर कहा था कि अभी हमने बालासाहेब ठाकरे का हिंदुत्व छोड़ा नहीं है। मैं चाहता हूं कि उद्धव ठाकरे, भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाएं। एकनाथ ने कहा कि हमारे साथ अभी 40 विधायक गुवाहाटी आए हैं। इनमें 33 विधायक शिवसेना के और 7 विधायक निर्दलीय हैं। एक विधायक गुवाहाटी नहीं पहुंचे हैं। मंगलवार को एकनाथ ने दावा किया था कि मेरे साथ कुल 41 विधायक हैं, जिसमें 34 शिवसेना और 7 निर्दलीय हैं।
शिंदे ने उद्धव के सामने भाजपा से गठबंधन की शर्त रखी
महाराष्ट्र के 41 विधायकों के साथ गुजरात में डेरा डालकर बैठे एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के सामने भाजपा से गठबंधन की शर्त रख दी है। उद्धव ने शिंदे से बातचीत के लिए मिलिंद नार्वेकर को भेजा था। नार्वेकर और शिंदे के बीच करीब एक घंटे मुलाकात चली। नार्वेकर ने फोन पर उद्धव से शिंदे की बातचीत कराई।
सूत्रों का कहना है कि करीब 20 मिनट चली इस बातचीत में उद्धव ने मुंबई आकर बातचीत का प्रस्ताव रखा। पर, शिंदे भाजपा से गठबंधन पर अड़े रहे। यह भी कहा कि पहले उद्धव अपना रुख स्पष्ट करें और अगर गठबंधन पर राजी हैं तो पार्टी टूटेगी नहीं।
बगावत से दो दिन पहले शिदें की आदित्य ठाकरे से नोकझोंक हुई थी
सूत्रों के मुताबिक, विद्रोह से 2 दिन पहले, यानी शुक्रवार को एकनाथ शिंदे और आदित्य ठाकरे के बीच मुंबई के पवई के एक होटल में नोकझोंक हुई थी। इस दौरान संजय राउत भी वहां मौजूद थे। दोनों के बीच विधान परिषद चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी के लिए अतिरिक्त वोटों का उपयोग करने को लेकर बहस हुई थी, जिसका शिंदे ने विरोध किया था। शिंदे के विरोध की वजह से कांग्रेस के उम्मीदवारों में से एक, भाई जगताप को उनकी जरूरत के वोट मिले, लेकिन दूसरे उम्मीदवार चंद्रकांत हंडोरे निर्वाचित नहीं हुए।