FIR कहां है? आप ड्यूटी में फेल रहे… कोर्ट ने परमबीर के आरोपों पर पूछे तीखे सवाल

Chhattisgarh Crimes

नई दिल्ली. मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की दायर जनहित याचिका पर बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनवाई की. वरिष्ठ वकील विक्रम ननकारी पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह की ओर से पेश हुए. ननकारी ने कोर्ट में परमबीर सिंह का लिखा पत्र पढ़कर सुनाया और कहा कि इसमें कठोर सत्य है. ननकारी ने कहा कि इस पत्र से पता चलता है कि पुलिस किस दबाव में काम कर रही है और कितना राजनीतिक हस्तक्षेप है. दूसरा मामला सांसद मोहन डेलकर की खुदकुशी का है. उन्होंने कहा कि ये बातें एक अनुभवी अफसर ने रखी है. साथ ही ननकानी ने कमिश्नर ऑफ इंटेलिजेंस रश्मि शुक्ला की रिपोर्ट का भी जिक्र किया.

 

इसके बाद चीफ जस्टिस ने पूछा, “बिना किसी जांच एजेंसी को शिकायत दिए, जांच किस बात पर हो, तरीका यही है कि पहले शिकायत हो, उसके बाद ही सीबीआई को जांच दी जा सकती है.” चीफ जस्टिस ने परमबीर सिंह के वकील से बार-बार पूछा कि इस मामले में एफआईआर कहां है? कैसे इस मामले में स्वतंत्र जांच एजेंसी की मांग कर सकते हैं. पहला स्टेप होता है एफआईआर, फिर जांच करना, इस मामले में जांच कैसे होगी, बिना एफआईआर के. चीफ जस्टिस ने कहा कि जिनके सहारे आप ये आरोप लगा रहे हैं, क्या वो अधिकारी अंडरटेकिंग देने के लिए राजी हैं कि मंत्री ने ऐसी बातें कहीं थीं. क्या वो रिकॉर्ड पर आना चाहते हैं?

चीफ जस्टिस ने कहा कि जब आपको (परमबीर सिंह) पता था कि आपका बॉस अपराध कर रहा है, तो एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की. आप फेल हुए हैं. अगर आपको क्राइम की जानकारी थी तो आपको अपने बॉस पर एफआईआर करनी चाहिए थी. पहले एफआईआर नहीं की और अब पीआईएल दाखिल कर जांच की मांग कर रहे हैं. अगर आपने इस मामले में गृहमंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज की होती तभी आप सीबीआई जांच की मांग कर सकते थे. कानून क्या सिर्फ आम जनता के लिए है. कानून क्या मंत्री और बड़े पुलिस अधिकारियों के लिए नहीं है. कानून के हिसाब से चलें आप.