आखिर वन विभाग के हाथ आरोपी के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत कार्यवाही करने से क्यों कांप रहा
शिखादास/ छत्तीसगढ़ क्राइम्स
विशेष रिपोर्ट
जंगल वन्य प्राणियों का घर है और वें उस स्थान पर मानव जाति से अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं इसलिए वें अपने घर पर स्वच्छंद विचरण करते हैं और अपना गुजर बसर करते हैं। 16 मई की दरमियानी रात खपराखोल परिसर के कक्ष क्रमांक 231(अपने घर ) में स्वच्छंद विचरण कर रहे जंगली सुअर को नहीं पता था कि जिस घर में वह विचरण कर रहा है वहां पर कुछ राजनैतिक रसूखदार शिकारियों की कुदृष्टि उस पर हैं, वह (जंगली सुअर) निश्चिंत होकर अपने परिजनों के साथ था जैसे ही शिकारियों के आने की भनक उसे लगती हैं वह अपनी जान बचाने इधर-उधर भागता है पर वह उन शिकारियों जो की महज मांस भक्षण करने के लिए उसका शिकार करने आए थे उनसे अपनी जान नहीं बचा पाता है। उसका दोष क्या था वह तो अपने घर पर था वह मानव जीवन को नुकसान नहीं पहुंचा रहा था फिर क्यों मांस भक्षण के लिए उसका शिकार कर दिया गया ? वन्य जीवों के सुरक्षा में तैनात प्रहरी कहा थे जब जंगली सुअर का शिकार किया जा रहा था ? असमय राजनैतिक रसूखदार शिकारियों के हाथों मारा गया जंगली सुअर अब वन विभाग से न्याय की गुहार लगा रहा है और पूछ रहा है कि मेरे हत्यारों के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत कार्यवाही करने से क्यों आपके हांथ कांप रहें हैं क्या विभाग रसूखदारों के खिलाफ इस एक्ट के तहत कार्यवाही का मुझे न्याय दिलाएगा!
जंगलों में वन्य प्राणियों के शिकार के मामले आते रहते है पर महासमुंद जिले के पिथौरा वन परिक्षेत्र में 16 मई को हुए एक जंगली सुअर का शिकार का मामला इसलिए महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि वन अमले ने शिकारियों को 315 बोर रायफल व पांच जिंदा कारतूस के साथ मौके वारदात पर अन्य हथियारों के साथ गिरफ्तार तो जरूर किया, आरोपियों के खिलाफ वन विभाग ने कार्यवाही भी किया इस बात से हम इंकार नहीं करते हैं पर क्या कारण हैं की रसखुदार शिकारियों पर आर्म्स एक्ट के तहत कार्यवाही नहीं किया गया यह सवाल विभाग को सवालों के कटघरे में खड़ा करता है। अब आप शिकारियों की दबंगई कह ले या फिर वन विभाग की इस मामले में कोताही। वन विभाग आरोपियों के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत कार्यवाही के लिए पुलिस के पाले में गेंद डाल(पत्र लिखकर) अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर लिया वहीं पिथौरा पुलिस ने भी गेंद वन विभाग के पाले वापस यह कहते हुए डाल दिया कि वन विभाग के पास आर्म्स एक्ट के तहत कार्यवाही करने का अधिकार है। वन विभाग और पुलिस के बीच आर्म्स एक्ट की कार्यवाही को लेकर ढुलमुल रवैए के बीच चार आरोपी जेल से रिहा हो गए और एक फरार आरोपी ने हाल ही में सरेंडर भी कर दिया है पर आज तारीख तक आर्म्स एक्ट की कार्यवाही का कहीं अता पता नहीं है। वन विभाग के जिम्मेदार अफसर वन अधिनियम पर अनभिघ्यता जाहिर करते उच्चाधिकारियों के निर्देश का मुंह ताकते नजर आ रहे हैं और जंगली सुअर की न्याय की फरियाद दम तोड़ती नजर आ रही है।
आइए जानते क्या हैं पूरा मामला
जंगली सुअर शिकार का मामला 16 मई का हैं इस संबंध में वन विभाग द्वारा बताया था कि वन परिक्षेत्र पिथौरा के ग्राम भैंसामाड़ा बांध कक्ष कं. 231 के पास जो कि थाना पिथौरा जिला महासमुन्द से संबंधित है । इस क्षेत्र के खपराखोल परिसर के कक्ष कं. 231 के पास में 16 मई की रात्रि एक रायफल से जंगली सुअर का अवैध शिकार किये जाने की सूचना मुखबीर द्वारा वन विभाग को दी गयी थी , जिस पर संज्ञान लेते हुए रात्रि 11.30 बजे घटना स्थल पर वन अमला पंहुचा। घटना स्थल पर आरोपी रामप्रसाद पिता मन्नूलाल पटेल उम्र 28 वर्ष ग्राम झुनगाबारी (पिलवापाली) महावीर यादव पिता परसुराम यादव उम्र 27 वर्ष, कमलसिंग ध्रुव पिता भागीरथी ध्रुव उम्र 34 वर्ष ग्राम झुनगाबारी (पिलवापाली), त्रिलोचन नायक पिता स्व० हरियर नायक उम्र 56 वर्ष ग्राम लिमदरहा को मौके से ही गिरफ्तार किया गया। आरोपियों के बयान के अनुसार एक अन्य आरोपी सहनू यादव पिता दिलसिंग यादव ग्राम झुनगाबारी (पिलवापाली) को फरार बताया गया था जिसने अभी हाल ही में 12जुलाई को सरेंडर कर दिया है।
वन विभाग ने घटना के मुख्य आरोपी त्रिलोचन नायक पिता स्व० हरियर नायक उम्र 56 वर्ष ग्राम लिमदरहा के पास से घटना स्थल से 01 नग रायफल, 05 नग गोली, 02 नग हंसिया, 02 नग कुल्हाड़ी, 04 नग मोबाइल, लगभग 02 किलो ग्राम जंगली सुअर का पका हुआ मांस, 01 नग गंज व ढक्कन, बिना पका हुआ जंगली सुअर के मांस का टुकड़ा लगभग 200 ग्राम, 01 नग छुरी, 02 मोटर सायकल एच.एफ. डिलक्स CG-06 GG-4953 व CG-13 AB-5687 घटना स्थल से जब्त किया गया । यहां पर हम आपको बतादे की जंगली सुअर एक वन्यप्राणी है जिसका शिकार वन्यप्राणी (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा 9, 39,50,51 का उल्लंघन है । वन विभाग द्वारा धारा 52 के तहत जब्ती की गई एवं आरोपीगणों को गिरफ्तार किया गया। बहरहाल वन विभाग मामले की जांच कर रहा है।
अरेस्टिंग के दौरान जमकर हुआ था हंगामा
जंगली सुअर शिकार मामले के मुख्य आरोपी के दबंगई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता हैं कि 17 मई को इस मामले का मुख्य आरोपी त्रिलोचन नायक व उनके साथ आये कुछ लोगों ने वन परिसर में वन कर्मियों के साथ जमकर हँगामा किया। त्रिलोचन नायक जोरजोर से पैदल ले चलो डाक्टरी मुलाहिजा व अदालत की जिद में अपनी राजनैतिक रसूख दिखाते हुए वनकर्मियो को इतनी भद्दी अश्लील गाली गलौच कर रहा था कि मौके पर उपस्थित हमारी महिला पत्रकार को शर्मसार भी होना पड़ा, इतना सबकुछ होता रहा फारेस्ट कर्मी असहाय सहनशील बने झेलते रहे क्योंकि
एसडीओ यू आर बसंत अपने एसी कक्ष में कुर्सी से तमाशा देखते रहे। आखिर एक वन्य प्राणी के हत्यारे पर इतनी मेहरबानी या उसके आगे अपने आपको असहाय क्यों समझ रहा था वन अमला!
कुछ सुलगते सवाल
- वन विभाग अपने जानवरों को सँरक्षण देने के लिए प्रतिबद्धता क्यो नही दिखा रहा ?
- आर्म्स एक्ट की कार्यवाही को लेकर पुलिस पर ही क्यो डिपेंड हैं वन विभाग ?
- वन्य प्राणियों के लिए बनाए गए वन सँरक्षण अधिनियम कूड़ेदान में क्यों ? या राजनीतिक दबाव !! वनमाफ़िया के साथ मिलीभगत !
- त्रिलोचन नायक सरपंच का काम छोड़कर अवैध शिकार में मशगूल क्या जिला पंचायत लेगी सज्ञान ?
लाइसेंस मामले मे गोलमाल जवाब समझ से परे
जंगली सुअर शिकार मामले में आरोपियों से बरामद 315 बोर रायफल पर अब तक वन विभाग यह स्पष्ट नहीं कर पा रहा है की आरोपियों के पास रायफल का कोई वैध दस्तावेज है भी की नहीं। इस संबंध में जब हमारे रिपोर्टर ने एसडीओ यू आर बसंत से पूछा तो कभी हा कभी ना गोलमोल जवाब पर यहीं लगता हैं कि अवैध शिकार करनेवालो व 315 बोर की रायफल 5जिँदा कारतूसों के साथ गिरफ्तार पिथौरा जनपद के ग्राम लिमदरहा सरपंच त्रिलोचन नायक उसके सह आरोपियों के साथ ढुलमुल रवैय्या बहुत सारी आशंकाओं की तरफ़ इशारा करते हैं ! अलबत्ता करीब ढाई माह से फरार आरोपी को तुरँत जमानत मिल जाना आर्म्स एक्ट ना लगाने के नाम पर एसडीओ का कथन अब की हम नही लगा सकते आदि यह संकेत देते हैं कि वनसंरक्षण अधिनियम की जम कर धज्जियाँ उड़ रही और वन विभाग का ढुलमुलपन लापरवाह गैरजिम्मेदाराना हरकतें मिलीभगत राजनीतिक सँरक्षण आदि ही वन्य तस्करों शिकारियों को बढ़ावा देने के लिए काफी है । वहीं जब तत्कालीन टीआई एस एन तिवारी ने एसडीओ वन विभाग के सामने ही वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धाराओं का हवाला देते यह कहा था कि वन विभाग आर्म्स एक्ट लगा सकता है। इस कारण थाना से वन विभाग के आर्म्स एक्ट के तहत कार्यवाही के लिए दिए इस आवेदन को लौटा रहे। तब एसडीओ वन विभाग यू आर बसन्त ने टी आई के सामने मौन अपने कक्ष मे बैठें रहे पर यह कहने की आखिर क्यो जहमत नहीं उठाई की वन विभाग के पास आर्म्स एक्ट के तहत कार्यवाही करने इस मामले में अधिकार ही नहीं है !
एसडीओ श्री बसंत के अनुसार 19 जुलाई को चालान पुनः पिथौरा में पेश किया जाएगा तो क्या यह उम्मीद वन्य प्राणियों के प्रेमी वन विभाग से कर सकते हैं कि जो त्रुटि पहले हो चुकी है उसे सुधारते हुए आरोपियों के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत धाराएं जोड़ पाएगी।
यह इत्तेफाक या फिर कुछ और
यह कैसा इत्तेफाक हो सकता है कि उसी दिन विभाग चालान पेश करने कोर्ट गया हो और फरार आरोपी उसी दिन सरेंडर करें ?
प्रभारी रेंजर प्रत्युष टांडे के ही मुताबिक 12 जुलाई को किसी अन्य मामले का चालान पेश करने वन अमला कोर्ट गया हुआ था ।फिर यह उल्लेखनीय है कि यह कैसा इत्तेफाक की फरार आरोपी झूँगाबरी का सहनु यादव उसी दिन कोर्ट में सरेंडर हो जाता है ? उसे तुरंत जमानत भी मिल जाता हैं यह विभाग की ढुलमूल नीत का ही नतीजा नहीं तो और क्या हैं।
ना वन बचेगा ना वन्यप्राणी और ना हरिहर छत्तीसगढ़
आज राज्य सरकार और वन विभाग वन, वन्य प्राणियों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर कृत संकल्पित और गंभीर भी है यहीं कारण है कि वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए लगातार कानून बनाए जा रहे हैं और वनों के बचाने लगातार पेड़ पौधे लगाने के साथ लोगों को वन और वन्य प्राणियों के संरक्षण के प्रति जागरूक करने के प्रयास किए जा रहे हैं पर जिस तरीके से पिथौरा परिक्षेत्र में वन विभाग का अमला कार्य कर रहा है गर यहीं रवैय्या रहा तो इस वन परिक्षेत्र में ना वन बचेगा ना वन्य प्राणी तो फिर हम कैसे कह पाएंगे हमर छत्तीसगढ हरियर छत्तीसगढ़!
बयान लेने से रोकने का प्रयास किया गया हमारे रिपोर्टर को
जब यह मामला सामने आया तब हमारी महिला रिपोर्टर भी मामले की रिपोर्टिंग करने पहुंची तो इस मामले का मुख्य आरोपी त्रिलोचन नायक का भाई जो पेशे से वकील है वह रेंजर के कक्ष में पहले से मौजूद था। जैसे ही हमारे रिपोर्टर ने रेंजर से इस मामले की जानकारी लेनी चाही तो बीच में ही कथित वकील ने हमें यह कहते हुए रोकने का प्रयास किया की मामले को कोर्ट में जाने दो फिर बयान ले लेना , जब हमने इस पर कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए उन्हें हमारे कार्य में दखलंदाजी ना करने की हिदायत दिया तब वह शांत हुआ और फिर हमारे रिपोर्टर ने इस मामले की रिपोर्टिंग की।
सरपंच हैं मामले का मुख्य आरोपी
जंगली सुअर शिकार मामले में जिसको मुख्य आरोपी बनाया गया है वह कोई और नहींग्राम पंचायत लिमदरहा का सरपंच त्रिलोचन नायक हैं। बताया जाता है कि यह जोगी कांग्रेस और बसपा से विधान सभा का चुनाव भी लड़ चुका है। सरकार जनप्रतिनिधियों और अन्य संसाधनों के माध्यम से वन्य प्राणियों और वनों के संरक्षण संवर्धन के लिए लोगों को जागरूक करने का काम करती हैं पर जब जनता के द्वारा चुना गया एक जनप्रतिनिधि ही वन्य प्राणियों को नाश करने में जुटा हो तो यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी कोशिशों का क्या हश्र हो रहा है।