दुर्ग। छत्तीसगढ़ में मानसून खूब मेहरबान है। जमकर बारिश हो रही है और नदी नाले उफान पर है। इधर मानसून में कई अजीबो गरीब नजारे भी दिख रहे हैं। दुर्ग में इन दिनों मानसून में पीला मेढ़क लोगों में जिज्ञासा की वजह बना हुआ है। मटमैले कलर कर अमूमन पाया जाने वाला मेढ़क दुर्ग में पीले रंग का मिल रहा है। नदी तालाबों में बड़ी तादाद में पीला मेढ़क देखकर लोग अचरज में हैं।
कुछ बुजुर्गों का कहना है कि मानसून के दौरान पीला मेंढक देखा गया तो बारिश गिरने के अच्छे संकेत होते हैं। बहरहाल जो भी रहस्य मई दुनिया में कब क्या दिखा जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। दुर्ग में इस गड्ढे के किनारे पर देखे गए मेंढक आकार में काफी बड़े होने के साथ ही गहरे पीले रंग के थे। इनको देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई। यह एक यूनिक नेचुरल फेनोमेना है।
इस तरह के पीले रंग के मेंढक को इंडियन बुल फ्रॉग कहा जाता है। यह नर मेंढक होते हैं जो बिलों में रहते हैं और अच्छी बारिश होने पर बाहर निकलते हैं। इनका यह स्वभाव रहता है कि ये मादा मेंढ़क को आकर्षित करने के लिए रंग बदलते हैं। मादा मेंढक सामान्य रंग के ही होते हैं। मेटिंग, संसर्ग के बाद इन्डियन बुल फ्रॉग यानि पीले रंग के मेंढक का रंग भी सामान्य हो जाता है। साथ ही जानकारी के अभाव में लोग इस दुर्लभ प्रजाति के मेढक को जहरीला समझते हैं जबकि पर्यावरणविद् की मानें तो मेढकों की यह दुर्लभ प्रजाति भारत में पाया जाता है।
क्यों पीला हो जाता है मेढ़क
एक यूनिक नेचुरल फेनोमेना है। इस तरह के पीले रंग के मेंढक को इंडियन बुल फ्रॉग कहा जाता है। यह नर मेंढक होते हैं जो बिलों में रहते हैं और अच्छी बारिश होने पर बाहर निकलते हैं। इनका यह स्वभाव रहता है कि ये मादा मेंढ़क को आकर्षित करने के लिए रंग बदलते हैं। मादा मेंढक सामान्य रंग के ही होते हैं। मेटिंग, संसर्ग के बाद इन्डियन बुल फ्रॉग यानि पीले रंग के मेंढक का रंग भी सामान्य हो जाता है।प्रजनन काल में अपना रंग बदल कर गहरा पीला कर लेता है।इन्हें राना ट्रिगिना भी कहते हैं। ये आमतौर पर भूरे रंग से लेकर ऑलिव ग्रीन रंग तक में होते हैं,इनके शरीर में बीच में एक लाइन होती है।मेटिंग के दौरान ये पीले रंग के नजर आते हैं।इस प्रजाति के मेेढ़क जहरीले नहीं होते हैं। ये सिर्फ मेटिंग के लिए इकट्ठा होते हैं। दुर्लभ प्रजाति का इंडियन बुल फ़्रॉग किसानों के लिए लाभदायक है और ईको-फ़्रेंडली भी है।मानसून सीजन में मादा मेढ़की को लुभाने के लिए मेढ़क अक्सर अपना रंग-रूप बदल लेते हैं। यह उनकी ब्रीडिंग का समय होता है।ये मेढ़क आमतौर पर महाराष्ट्र में ही नजर आते थे। ऐसा पहली बार है कि इन्हें छत्तीसगढ़ में भी देखा गया।