चिटफंड पीड़ितों के साढ़े 3 करोड़ सरकारी खाते में अटके; प्रशासन ने कहा- पैसे चाहिए तो दस्तावेज लाइए

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। जिले के 30 हजार चिटफंड पीड़ितों के करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए एक साल से सरकारी खाते में अटके हैं। पुलिस और प्रशासन ने कई फ्रॉड चिटफंड कंपनियों की प्रॉपर्टी तलाश करने के बाद उसकी नीलामी करवायी। लेकिन ठगी के दस्तावेज नहीं होने से प्रशासन पैसे ही नहीं बांट पा रहा है।

अपर कलेक्टर ने कई बार रायपुर एसडीएम को चिट्ठी भी लिखी है। उनसे उन लोगों की सूची मांगी गई है जिनके पैसे वापस करने हैं। लेकिन अभी तक सूची नहीं बन सकी क्योंकि पीड़ितों को बार-बार पत्र लिखने के बावजूद वे ऐसा कोई प्रमाण नहीं दे पा रहे, जिससे पता चले कि उनके कितने पैसे कंपनी में जमा थे। ना उनके पास कोई रसीद या दस्तावेज है। ना ही कोई बांड की कॉपी पीड़ित दे पा रहे हैं।

इन कंपनियों की प्रॉपर्टी बेचकर जुटाई गई रकम

प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक शुष्क इंडिया कंपनी लिमिटेड की संपत्ति नीलामी से 2.12 करोड़ रुपए शासकीय खाते में जमा किए गए। इनके अलावा गोल्ड की इंफ्रावेंचर लिमिटेड और बे सिड बेनीफीट लिमिटेड की संपत्ति की नीलामी से 81 लाख, निर्मल इंफ्रा होम कॉर्पोरेशन लि. की प्रॉपर्टी की नीलामी से 51.51 लाख, आरोग्य धन वर्षा डेवलपर्स प्राइवेट लि. की संपत्ति नीलामी से 11.85 लाख रुपए मिले हैं।

अब तक 9866 लोगों को 4.14 करोड़ किए वापस

रायपुर जिले में अभी तक 9866 लोगों को चिटफंड कंपनी में गंवाई रकम वापस की गई है। इसमें सभी बड़ी रकम देवयानी प्रापर्टी लिमिटेड में निवेश करने वाले लोगों को मिली। इस कंपनी की संपत्तियों की नीलामी से 4.14 करोड़ रुपए लोगों को वापस किए गए।

कुछ कंपनियों की नीलामी अटकी

सात चिटफंड कंपनियां ऐसी हैं जिनकी नीलामी की प्रक्रिया पूरी हो गई थी, लेकिन बाद में उन्होंने कोर्ट से स्टे ले लिया।इस वजह से इन कंपनियों की संपत्ति नीलाम नहीं हो सकी है। 14 जुलाई को ही माइक्रो फायनेंस की अभनपुर में स्थित जमीन की नीलामी की जानी थी। प्रशासन ने इसकी सूचना पहले ही जारी कर दी थी, लेकिन बाद में तकनीकी वजह बताकर नीलामी रद्द कर दी गई। अब नीलामी कब होगी यह भी तय नहीं है।

इनके अलावा साईं प्रकाश डेवलपमेंट की करीब 8 करोड़ की प्रॉपर्टी भी कुर्क की गई है, लेकिन अभी तक इसकी नीलामी नहीं हो पाई है। इस कंपनी ने पैसे दोगुने करने का लालच देकर केवल राजधानी में ही 50 करोड़ से ज्यादा का फर्जीवाड़ा किया था। कंपनी ने लोगों से ली गई रकम से पॉश और महंगे इलाकों में जमीन और दुकान की खरीदी की है।

क्यों आ रही परेशानी?

चिटफंड पीड़ितों से पहली बार ऑफलाइन आवेदन मंगवाए गए थे। अब यही आवेदन ऑन लाइन मंगवाए जा रहे हैं। नए सिरे से आवेदन मंगाने के साथ पीड़ितों से प्रमाण मांगा जा रहा है कि उनके पास पैसे जमा करने की कोई रसीद या बांड कॉपी है तो वे जमा करें। कई निवेशकों के पास कोई दस्तावेज नहीं है।