दुर्ग। दुर्ग जिले धमधा ब्लॉक के अंतर्गत 16.40 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा ब्रिज पहली बारिश में बह गया है। बुधवार सुबह जब लोग नदी का जल स्तर देखने गए थे तभी अचानक ब्रिज का स्ट्रक्चर नदी में समा गया। इतनी बड़ी घटना हो जाने के बाद भी मौके पर न तो पीडब्ल्यूडी का कोई अधिकारी पहुंचा न ही ठेकेदार।
ग्रामीण रोहित लोधी का कहना है कि पुल का निर्माण घटिया स्तर का हो रहा है। ठेकेदार और अधिकारी कभी मौके पर देखने नहीं आते हैं। यहां का जो मुंशी है वो अपनी मर्जी से काम कराता है। ठेकेदार ने कोई इंजीनियर नहीं रखा है, जो ब्रिज में हो रही तकनीकी कमियों को देख सके।
सगनी गांव के निवासी इतवारी राम साहू का कहना है कि निर्माण घटिया स्तर का हो रहा है। बुधवार सुबह वो लोग नदी का जल स्तर देखने के लिए आए थे। तभी देखा कि ब्रिज का सिल्ली गांव की तरफ का एप्रोच पुल बह गया। लोहे की बड़ी-बड़ी सेंटरिंग प्लेट और सपोर्ट पूरा नदी के पानी में समा गया। गांव के लोग काफी डरे हुए है। अब उन्हें लगता है कि पूरा ब्रिज कमजोर है और कभी भी गिर सकता है।
सगनी घाट नदी के ऊपर बने इस 400 मीटर लंबे ब्रिज के ऊपर चढ़कर लोग शिवनाथ नदी के बाढ़ के पानी को देखने के लिए पहुंचते हैं। ब्रिज में अभी तक न तो कोई रेलिंग बनी है और न ही कोई सुरक्षा के इंतजाम हैं। गार्ड न होने लोग अपनी जान खतरे में डालकर ब्रिज के ऊपर चढ़ रहे हैं। पिछले साल इसी ब्रिज से दुर्ग का रहने वाला एक युवक गिर गया था और उसकी मौत हो गई थी।
पीडब्ल्यूडी से हुए अनुबंध के मुताबिक ठेकेदार को इस ब्रिज का निर्माण 11 नवंबर 2020 को शुरू कर 16 महीने में 11 अप्रैल 2022 में पूरा करना था। लेकिन ठेकेदार ने निर्माण में देरी की और पुल जून 2023 तक 70 प्रतिशत भी नहीं बन पाया है।