रायपुर। भगवान शिव का प्रिय महीना सावन चल रहा है। सभी शिवालय ऊं नमः शिवाय के मंत्रों से गुंजायमान हैं। भक्ति से भरे इस महीने में नॉन वेजिटेरियन्स मांसाहार से दूर हो गए हैं, जिसके कारण इसके कारोबार में 30 से 40 प्रतिशत की कमी आई है।
हर साल सावन में अंडे, फिश से लेकर चिकन और मटन मार्केट का कारोबार बड़ी तेजी से नीचे गिर जाता है। रायपुर के व्यापारियों की मानें तो इस साल बाजार में मटन, चिकन, फिश और अंडे की बिक्री 30 से 40 प्रतिशत तक कम हो चुकी है। इस साल सावन 2 महीनों का है। 4 जुलाई से शुरू हुआ ये महीना 31 अगस्त तक रहेगा।
नेशनल एग को-ऑर्डिनेशन कमेटी के जॉइंट चेयरमैन अर्चित बनर्जी और एग होलसेल व्यापारी मोहम्मद रमजान ने बताया कि छत्तीसगढ़ में अंडे का हर दिन करीब 75 लाख के आसपास प्रोडक्शन होता है। होलसेल बाजार में सामान्य दिनों में एक अंडे की कीमत 5 रुपये 20 पैसे होती है, जबकि अभी सावन में इसका रेट गिरकर 3 रुपये 80 पैसे हो गया है। अंडे के कारोबार में हुई इस गिरावट के लिए बारिश भी एक वजह होती है। बारिश में अंडों की लाइफ गर्मी की तुलना में कम हो जाती है।
ज्यादातर छोटे और मंझोले व्यापारी अपने स्टॉक को पोल्ट्री फॉर्म में ही रखते हैं। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में अंडों की बड़ी सप्लाई रायपुर के तिल्दा, बागबाहरा, धमतरी, दुर्ग के धमधा से होती है। रायपुर की आबादी अधिक होने से यहां टोटल उत्पादन के 65-70% अंडे खपाए जाते हैं। सावन के चलते बाजार में डिमांड कम होने से कारोबारियों को भी बड़ा नुकसान होता है।
चिकन-मटन बाजार में भी गिरावट
रायपुर शहर मटन व्यापारी संघ के अध्यक्ष शहाबुद्दीन कुरैशी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में बकरे का बड़ा बाजार रायपुर के अलावा महासमुंद के बसना, मुंगेली, बिलासपुर में है। वहीं राजधानी रायपुर में जवाहर बाजार का मटन मार्केट बड़े बाजारों में से एक है। इसके अलावा खमतराई, टिकरापारा, पंडरी में भी हर दिन दर्जनों बकरे डिमांड के अनुरूप सप्लाई किए जाते हैं। उन्होंने बाजार का हाल बताते हुए कहा कि अगर सिर्फ जवाहर मटन बाजार के आंकड़ों को देखें, तो यहां की मंडी में हर दिन 30-35 बकरों को बेचा जाता है, जो कुल वजन में 200 किलो के करीब होता है।
सावन के महीने में बिक्री घटकर सीधे प्रतिदिन 15-20 बकरों पर आ जाती है, यानी इसमें अनुमानित 40 प्रतिशत की कटौती हो जाती है। चिकन के व्यापारी मोहम्मद तनवर ने बताया कि राजधानी के कोई भी एक बड़े बाजार की बात करें, तो वहां हर रोज व्यापारी 800 से 1000 किलोग्राम चिकन बेच देते हैं। इसके अलावा होटलों और शादियों के लिए स्पेशल बुकिंग अलग होती है। फिलहाल सावन के महीने में यह बिक्री घटकर 400 किलो तक पहुंच जाती है।
फिलहाल होलसेल बाजार में चिकन का रेट 120-140 रुपये किलो के आसपास है। सामान्य दिनों में यह 220 रुपये किलो के भाव से बेचा जाता है। मो. तनवर ने बताया कि एक मुर्गे को तैयार होने में 40 से 45 दिन का वक्त लगता है। उसके बाद माल को निकालना मजबूरी हो जाती है, इसलिए उसे रेट गिराकर भी बेचना पड़ता है। अभी सावन में रायपुर के खमतराई, टिकरापारा, पंडरी बाजारों में भी कारोबार ठंडा है। जानकारों ने बताया कि चिकन और मटन के प्रोडक्शन को फिर भी एक हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।
हर साल पोल्ट्री फॉर्म के मालिक नवरात्र और सावन आने से पहले ही इसे लेकर तैयारी कर लेते हैं। वे चूजे को दाना उसी अनुपात में देते हैं, लेकिन इसके उलट अंडे के कारोबार में प्रोडक्शन रोकना संभव नहीं हो पाता। जिसके चलते हर दिन लाखों अंडों को स्टोर किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में अंडे के कुल प्रोडक्शन का 50 फीसदी दूसरे राज्यों में भी भेजा जाता है। फिलहाल बाहर के राज्यों से भी डिमांड में कमी आई है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी नॉनवेज खाना सेहत के लिए ठीक नहीं
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी देखा जाए, तो इस महीने में मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए। इस महीने रिमझिम बारिश होती रहती है। वातावरण में फंगस, फफूंदी और फंगल इंफेक्शन बढ़ने लगते हैं। खाने-पीने का सामान जल्दी खराब होने लगता है, क्योंकि सूर्य, चंद्रमा की रोशनी का अभाव हो जाता है, जिससे खाद्य पदार्थ जल्द संक्रमित हो जाते हैं।
जानवर भी हो जाते हैं बीमार
वातावरण में कीड़े-मकोड़े की संख्या बढ़ जाती है। कई बीमारियां जैसे डेंगू, चिकनगुनिया होने लगती हैं, जो जानवरों को भी बीमार कर देती हैं। इनका मांस सेवन करना हानिकारक है। इस समय देर से पचने वाला भोजन नहीं करना चाहिए। जानवर जो घास-फूस खाते हैं, उसके साथ बहुत सारे जहरीले कीड़े सेवन कर लेते हैं, इससे जानवर बीमार हो जाते हैं। उन्हें भी संक्रमण हो जाता है। जानवरों का मांस शरीर के लिए बहुत ही नुकसानदायक साबित हो जाता है।
मछली अंडे देती है, उसका सेवन हानिकारक है
इस समय मछली अंडोत्सर्ग करती है। उसका सेवन करने से बीमारी का खतरा रहता है। अन्य पशुओं के गर्भधारण-प्रजनन का यह समय होता है। इनके शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होता है, इस समय खाना सही नहीं है।