बेंगलुरू। ISRO ने सोमवार (28 अगस्त) को कहा कि 27 अगस्त को चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान के सामने 4 मीटर डायमीटर (चौड़ा) का क्रेटर (गड्ढा) आ गया। ये गड्ढा रोवर की लोकेशन से 3 मीटर आगे था। ऐसे में रोवर को रास्ता बदलने का कमांड दिया गया। अब यह सुरक्षित रूप से एक नए रास्ते पर बढ़ रहा है।
इस तरह प्रज्ञान ने दूसरे क्रेटर का सामना किया है। इससे पहले रोवर करीब 100 मिमी की गहराई वाले एक छोटे क्रेटर से गुजरा था। चंद्रमा पर रोवर के ऑपरेशन सेमी-ऑटोनॉमस है। इसे चलाने के लिए ग्राउंड स्टेशनों को कमांड को अपलिंक करने की जरूरत पड़ती है।
रोवर के डेटा के आधार पर तय होता है रास्ता
रोवर की पाथ प्लानिंग के लिए, रोवर के ऑनबोर्ड नेविगेशन कैमरा डेटा को ग्राउंड पर डाउनलोड किया जाता है। फिर ग्राउंड और मैकेनिज्म टीम तय करती है कि कौन सा पाथ (रास्ता) लेना है। इसके बाद रोवर को रास्ते की जानकारी देने के लिए कमांड को अपलिंक किया जाता है।
जैसे इंसान की आंखें केवल एक निश्चित दूरी तक ही देख सकती हैं, वैसे ही रोवर की भी सीमाएं हैं। रोवर का नेविगेशन कैमरा केवल 5 मीटर तक की ही इमेज भेज सकता है। ऐसे में एक बार कमांड देने पर यह अधिकतम 5 मीटर की दूरी तय कर सकता है।
चंद्रमा की सतह और अलग-अलग गहराई पर तापमान में काफी अंतर
इससे पहले 27 अगस्त को चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में लगे चास्टे पेलोड ने चंद्रमा के तापमान से जुड़ा पहला ऑब्जर्वेशन भेजा था। ChaSTE यानी चंद्र सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट के मुताबिक, चंद्रमा की सतह और अलग-अलग गहराई पर तापमान में काफी अंतर है। चंद्रमा के साउथ पोल की सतह पर तापमान करीब 50 डिग्री सेल्सियस है। वहीं, 80mm की गहराई में माइनस 10°C टेम्परेचर रिकॉर्ड किया गया। चास्टे में 10 टेम्परेचर सेंसर लगे हैं, जो 10cm यानी 100mm की गहराई तक पहुंच सकते हैं।
साउथ पोल का तापमान पता चलने का फायदा क्या?
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया था कि उन्होंने चंद्रमा के साउथ पोल को इसलिए चुना, क्योंकि यहां भविष्य में इंसानों को बसाने की क्षमता हो सकती है। साउथ पोल पर सूर्य का प्रकाश कम समय के लिए रहता है। अब जब चंद्रयान-3 वहां के तापमान समेत अन्य चीजों की स्पष्ट जानकारी भेज रहा है, तो वैज्ञानिक अब यह समझने की कोशिश करेंगे कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की मिट्टी वास्तव में कितनी क्षमता रखती है।
चंद्रयान-3 के साथ कुल 7 पेलोड भेजे गए हैं
चंद्रयान-3 मिशन के तीन हिस्से हैं। प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर। इन पर कुल 7 पेलोड लगे हैं। एक पेलोड, जिसका नाम शेप है, वह चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल पर लगा है। ये चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगाकर धरती से आने वाले रेडिएशन की जांच कर रहा है।
वहीं लैंडर पर तीन पेलोड लगे हैं। रंभा, चास्टे और इल्सा। प्रज्ञान पर दो पेलोड हैं। एक इंस्ट्रूमेंट अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA का भी है, जिसका नाम है लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर अरे। ये चंद्रयान-3 के लैंडर पर लगा हुआ है। ये चंद्रमा से पृथ्वी की दूरी मापने के काम आता है।